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'कृष्ण' नहीं 'कृष' कहो

कान्हा जी के दीवाने आज के युवा

WD
आपने रितिक रोशन की कृष फिल्म दे खी होगी। कृष्ण आज होते तो निश्चित ही क्रिकेट खेलते और राजनीति
में भी दखल रखते। उनके जमाने में उन्होंने फुटबॉल तो बहुत खेला और राजनीति में तो वे माहिर थे ही। यह
जानकर आश्चर्य करने की कोई बात नहीं कि जब वे युद्ध के मैदान में थे तो एकदम तरोताजा युवा थे। लेकिन
इस सबके बावजूद उन्होंने उनके जमाने में जो किया वह आज का कोई भी कृष नहीं कर सकता। इसीलिए
कहना पड़ रहा है कि असली कृष तो कृष्ण ही है ।

आधुनिक युग में अब दो ही मार्ग बच गए है युद्ध या बुद्ध। आश्चर्य यह क‍िदोनों ही मार्ग कृष्ण से शुरू होते
हैं और उन्हीं पर खत्म भी। दनि
ु याभर के युवाओं में फेमस हैं कृष्ण। 70 के दशक में तो कृष्ण आंदोलन की
धूम थी। आने वाला भविष्य भी कृष्ण का ही होगा। क्योंकि कृष्ण में दोनों ही मार्ग समाहित हो जाते हैं।

युवाओं में क्यों फेमस हैं कृष्ण : कृष्ण तीन कारणों से युवाओं में फेमस हैं। पहला यह कि वे जीवन के हर
मोर्चे पर स्वयं को यद्ध
ु स्तर पर प्रस्तत
ु करते हैं। दस
ू रा यह कि वे प्यार को भी उतना ही महत्व दे ते हैं
जितना की वार को। तीसरा यह कि उन्होंने बहुत संघर्ष के बाद स्वयं के जीवन को सफल बनाया था। उनके
जीवन का एक भी पल ऐसा नहीं है जो व्यर्थ गया हो, क्योंकि उन्होंने भाग्य से ज्यादा कर्म को महत्व दिया।

युद्ध से प्रेम करो : कृष्ण कहते हैं कि ना कोई मरता है और ना ही कोई मारता है प्राणी तो बस निमित्त मात्र
है , तो तू मरने और मारने से क्यँू डरता है । अर्जुन जिन्हें तू जिंदा समझ रहा है , उन्हें तो मैं पहले से ही मार
चुका हूँ, अब तो बस खेल मात्र है । तू डर मत और निश्‍चिंत होकर युद्ध से प्रेम कर। वेद कहते हैं आत्म रक्षा
के लिए संगठित होओ और जो कौम युद्ध करना छोड़ दे ती है वह धीरे -धीरे अपना अस्तित्व भी खतम कर लेती
है ।
भाग्य नहीं कर्मवाद : कृष्ण फेटे लिस्ट नहीं है वे परफार्मेंस और प्रेक्टिस पर ही विश्वास करते हैं। कर्म करो
और फल की चिंता मुझ पर छोड़ दो। भाग्य या भगवान भरोसे मत रहो। सामने युद्ध खड़ा हो तो भाग्य के
बारे में नहीं सोचते। युद्ध के मैदान में सोचने का काम नहीं होता जोश और होश का काम रहता है । सोचने
वाले कब मर जाते हैं उन्हें पता भी नहीं चलता। भगवान के भरोसे भी नहीं रहते। भगवान खुद तीर चलाकर
नहीं जीता सकते युद्ध। तीर तो आपको ही चलाना होगा। जीवन के हर क्षेत्र में कर्म तो करना ही होगा।
कर्मवान लोगों के साथ ही भाग्य और भगवान होते हैं। पहले खुद को बुलंद करो।

प्यार से प्यार करो : जीवन में प्रेम नहीं तो समझो तुम रे गिस्तान में भटक गए हो या किसी ग्लेशियर इलाके
में धूप की तलाश कर रहे हो। यदि आपने 'डैथ वेली' का नाम सुना है तो आप वहीं खड़े हो। कृष्ण तो घने
वन की तरह है जहाँ जंगली जानवरों के अलावा झरने, नदी, पहाड़ और वक्ष
ृ ों के झड
ंु के बीच तुम्हें समुद्र की
झील दिखाई दे गी। प्रेमपूर्ण होना कुछ इसी तरह होता है । जिन्होंने अवतार फिल्म दे खी है वे जानते हैं कि
पें डोरा कैसा था।

सच्चे प्रेमी : कृष्ण ने एक से नहीं 16000 स्त्रियों से प्रेम किया था और सभी की जिम्मेदारी उठा रखी थी कि
जब तक तुम्हें मोक्ष नहीं मिल जाता मैं यह धरती नहीं छोडूँगा। लीलावती नामक उनकी एक प्रेमिका चूक गई
थी। कहते हैं कि कई जन्मों के बाद मीरा के रूप में जन्मी लीला को कृष्ण ने पुन: पकड़ लिया। साथ पकड़ा
है तो फिर आसानी से नहीं छोड़ेंगे सनम।

युवाओं के प्रेरक : कृष्ण का जीवन बहुत ही तेजी से चें ज होता रहा है। कृष्ण ने स्वयं को समय के अनुसार
तेजी से परिवर्तित किया है । कृष्ण कहते भी है कि संसार परिवर्तनशील है जो बदलते नहीं वे इतिहास के गर्त
में खो जाते हैं। कृष्ण ने अपनी प्रत्येक जिम्मेदारी का गंभीरता से पालन किया है जबकि जीवन को उन्होंने
कभी गंभीरता से नहीं लिया। सदा हँसमख
ु और प्रसन्न चित्त रहकर उन्होंने राजनीति के बड़े से बड़े पाठ को
पढ़ाया ही नहीं करके भी दिखा दिया। जो बोला वह किया।...'हे शिशप
ु ाल में तेरा 100 वाँ अपराध माफ नहीं
करूँगा। तेरा अंतिम वक्त आ चुका है ।'

एस्ट्रो टिप्स : जिनके सितारे गर्दिश में हैं उन्हें कृष्ण मंत्र का सहारा लेना चाहिए...'कृष्णाय शरणं मम'। मैं
कृष्ण की शरण में हूँ। जो कृष्ण की शरण में होते हैं उन्हें किसी भी ग्रह-नक्षत्र से डरने की जरूरत नहीं। चंद्र
को बलवान करने के लिए भी कृष्ण की भक्ति की सलाह दी जाती है । भाग्य के चक्र को जाग्रत करने के लिए
कृष्ण के कर्म के सिद्धांत का अनुसरण किया जाता है।

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