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कालभैरवा कम्

- देवराज से यमान पावनांिघ्र पंकजम, यालयज्ञ सत्रू िम दु शेखरं कृपाकरम्


नारदािद योिगवृ द वि दतं िदगंबरं, कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥१॥
- भानक
ु ोिट भा वरं भवाि ध तारकंपरं, नीलक ठ मीि सताथर् दायकं ित्रलोचनम्
ू मक्षरं, कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥२॥
कालकाल मबं जु ा क्षमक्षशल
- शल
ू टंक पाशद ड पािणमािद कारण,ं यामकाय मािददेव मक्षरं िनरामयम्
भीमिवक्रमं प्रभंु िविचत्र ता डविप्रय,ं कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥३॥
- भिु क्तमिु क्त दायकं प्रश त चा िवग्रह,ं भक्तव सलं ि थतं सम तलोक िवग्रहम्
िविनक्व ण मनोज्ञ हेम िकंिकणी लस किटं, कािशकापरु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥४॥
- धमर्सेतु पालकं वधमर्मागर् नाशकं, कमर्पाश मोचकं सश
ु मर् दायकं िवभमु ्
वणर्वणर् शेषपाश शोिभताँग म डलं, कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥५॥
ु ा प्रभािभराम पादयग्ु मकं, िन यम िद्वतीय िम दैवतं िनरंजनम्
- र नपादक
मृ यदु पर् नाशनं कराळ दं ट्र मोक्षण,ं कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥६॥
- अट्टहास िभ नपद्म जा डकोश स तितं, ि पात न पाप जालमग्रु शासनम्
अ िसिद्ध दायकं कपाल मािलक धरं, कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥७॥
- भतू संघ नायकं िवशाल कीितर्दायकं, कािश वासलोक पु यपाप शोधकं िवभमु ्
नीितमागर् कोिवदं परु ातनं जग पितं, कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे ॥८॥
- कालभैरवा कं पठि त ये मनोहरं, ज्ञानमिु क्त साधनं िविचत्र पु यवधर्नम्
शोकमोह दै यलोभ कोपताप नाशनं, ते प्रयाि त कालभैरवांिघ्र सि निधं ध्रवु म् ॥९॥
कािशका परु ािधनाथ कालभैरवं भजे………. ॐ

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