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Mahadev proktam Mrat Sanjivini Mantra 0 SUBSCRIBE TO BLOG VIA EMAIL

BY ASTHA ON DECEMBER 26, 2017 MANTRA


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Mahadev Proktam Mrat Sanjivini Mantra Join 5,363 other subscribers

। ीमहादे व- ो ं -मृत-स ीवनी-कवचम् (महा-गोपनीय कवच)


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सरद नवरा ी म ५१ हजार जाप और उस का ११ माला हवन करने से ये कवच मं स हो जाता है |


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।। पूव-पी ठका ।।
एवमारा य गौरीशं दे वं मृ यु यमहे रं ।
मृतस ीवनं ना ना कवचं जपेत् सदा ॥१॥
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सारात् सार-तरं पु यं गु ा तरं शुभं ।
महादे व य कवचं मृतस ीवनामकं ॥ २॥
समा हत-मना भू वा ृणु व कवचं शुभं ।          
ृ वैत कवचं रह यं कु सवदा ॥३॥

RECENT POSTS
व नयोगः- ॐ अ य ीमृतस ीवनीकवच य ी महादे व ऋ षः, अनु ु प् छ दः, ीमृ यु य ो दे वता ॐ बीजं, जूं श ः, सः क लकम् मम (अमुक य)
र ाथ कवचपाठे व नयोगः।

Vinayaka Chaturthi Katha


ऋ या द- यासः- ी महादे व ऋषये नमः शर स, अनु ु प् छ दसे नमः मुख,े ीमृ यु य ो दे वतायै नमः द, ॐ बीजाय नमः गु ,े जूं श ये नमः पादयो, सः
Lord Shri Ram Kundli
क लकाय नमः नाभौ, मम (अमुक य) र ाथ कवचपाठे व नयोगाय नमः सवागे।
Shri Ganesh Prashnavali Yantra ीगणेश ावली यं
कर- यासः- ॐ जूं सः अंगु ा यां नमः। ॐ जूं सः तजनी यां वाहा। ॐ जूं सः म मा यां वषट् । ॐ जूं सः अना मका यां ँ। ॐ जूं सः क न का यां वौषट् । ॐ
Karpur Gauram Mantra कपूरगौरं मं
जूं सः करतल-कर-पृ ा यां फट् ।
Rama Navami Vrat, Puja Date and Time
2018,2019,2020
दया द- यासः- ॐ जूं सः दयाय नमः, ॐ जूं सः शरसे वाहा, ॐ जूं सः शरसे वषट् , ॐ जूं सः-कवचाय म्। ॐ जूं सः- याय वौषट् , ॐ जूं सः अ ाय फट् ।
अ या म या है Adhyatm Kya Hai?
यान-
Lona Chamari Mantra
च ाका न- वलोचनं मत-मुखं प - या तः- थतम्।
मु ा-पाश-मृगा -सू - वलस पा ण हमांशु- भम् | ीना यका कवचम् - ी उ म -भैरव उवाच

कोट - गल सुधाऽऽ लुत-तनुं हारा द-भूषो वलं 2018 Sheetala Saptami Pujan date
का तं व - वमोहनं पशुप त मृ यु यं भावयेत् ||
2018 Chaitra Navratri, Vasanta Navratri Dates

॥ मूल कवच पाठ ॥


वराभयकरो य वा सव-दे व- नषे वतः ।
मृ यु यो महादे वः ा यां मां पातु सवदा ॥४॥
दधानः श मभयां मुखः षड् भुजः भुः ।
सदा शवोऽ न पी मामा ने यां पातु सवदा ॥५॥
अ ादशभुजोपेतो द डाभयकरो वभुः।
UPCOMING FESTIVALS
यम पी महादे वो द यां सदाऽवतु ॥६॥
खड् गाभयकरो धीरो र ोगण नषे वतः।
र ो पी महेशो मां नैऋ यां सवदाऽवतु ॥७॥ MARCH 23, 2018

पाशाभयभुजः सवर नाकर- नषे वतः। Rama Navami Vrat, Puja Date an

व णा मा महादे वः प मे मां सदाऽवतु ॥८॥ Time 2018,2019,2020

गदाभयकरः ाणनाशकः सवदा ग तः।


वाय ां मा ता मा मां शंकर पातु सवदा ॥९॥ MARCH 7, 2018

खड् गाभयकर थो मां नायकः परमे रः। 2018 Sheetala Saptami Pujan dat
सवा मा तर द भागे पातु मां शंकरः भुः ॥१०॥
शूलाभयकरः सव व ानाम धनायकः।
ईशाना मा तथैशा यां पातु मां परमे रः ॥११॥ MARCH 5, 2018
ऊ वभागे ा पी व ा माऽधः सदाऽवतु। 2018 Chaitra Navratri, Vasanta

शरो मे शंकरः पातु ललाटं च शेखरः ॥१२॥ Navratri Dates

ूम यं सवलोकेश ने ो लोचनेऽवतु।
ूम यं ग रशः पातु कण पातु महे रः ॥१३॥
ना सकां मे महादे वः ओ ौ पातु वृष वजः। MARCH 5, 2018

ज ां मे द णामू तद तान् मे ग रशोऽवतु ॥१४॥ Ranga Panchami 2018, 2019 , 202

मृ यु यो मुखं पातु क ठं मे नागभूषणः।


पनाक म करौ पातु शूलो दयं मम ॥१५॥
प चव ः तनौ पातु जठरं जगद रः। MARCH 1, 2018

ना भ पातु व पा ः पा मे पावतीप तः ॥१६॥ 2018 Kojagara Vratam, Kojagari P


क ट यं ग रशो मे पृ ं मे मथा धपः।
गु ं महे रः पातु ममो पातु भैरवः ॥१७॥
जानुनी मे जग ता जंघे मे जगद बका। MARCH 1, 2018

पादौ मे सततं पातु लोकव ः सदा शवः ॥१८॥ Holi festival dates between 2015
ग रशः पातु मे भाया भवः पातु सुतान् मम। 2025
मृ यु यो ममायु यं च ं मे गणनायकः। ॥१९॥
सवा ं मे सदा पातु कालकालः सदा शवः ।
एत े कवचं पु यं दे वतानां च लभम् ॥२०॥

।। फल ु त ।।
मृतस ीवनं ना ना महादे वेन क ततम् ।
स ावतनं चा य पुर रणमी रतम् ॥२१॥
महादे वजी ने मृत-स ीवन नामक इस कवच को कहा है । इस कवच क सह आवृ को पुर रण कहा गया है ॥२१॥
यः पठे छृ णुया यं ावये सु समा हतः ।
सकालमृ युं न ज य सदायु यं सम ुते ॥२२॥
जो अपने मन को एका करके न य इसका पाठ करता है, सुनता अथवा सर को सुनाता है, वह अकाल मृ युको जीतकर पूण आयु का उपयोग करता है ॥
२२॥
ह तेन वा यदा पृ ् वा मृतं स ीवय यसौ ।
आधयो ा य त य न भव त कदाचन ॥२३॥
जो अपने हाथ से मरणास के शरीर का पश करते ए इस मृतस ीवन कवच का पाठ करता है, उस आस -मृ यु ाणी के भीतर चेतनता आ
जाती है । फर उसे कभी आ ध- ा ध नह होत ॥२३॥
कालमृयुम प ा तमसौ जय त सवदा ।
अ णमा दगुणै य लभते मानवो मः ॥२४॥ 00:00 00:29
यह मृतस ीवन कवच काल के गाल म गये ए को भी जीवन दान कर दे ता है और वह मानवो म अ णमा आ द गुण से यु ऐ यको ा त करता है
॥२४॥
यु ार भे प ठ वेदम ा वश तवारकं ।
यु म ये थतः श ुः स ः सवन यते ॥२५॥
यु आर भ होने के पूव जो इस मृतस ीवन कवच का २८ बार पाठ करके रणभू म म उप थत होता है, वह उस समय सभी श ु से अ य रहता है ॥२५॥
न ाद न चा ा ण यं कुव त त य वै ।
वजयं लभते दे वयु म येऽ प सवदा ॥२६॥
य द दे वता के भी साथ यु छड जाय तो उसम उसका वनाश ा भी नही कर सकते, वह वजय ा त करता है ॥२६॥
ात थाय सततं यः पठे कवचं शुभं ।
अ यं लभते सौ य मह लोके पर च ॥२७॥
जो ात:काल उठकर इस क याण-कारी कवच सदा पाठ करता है, उसे इस लोक तथा परलोक म भी अ य सुख ा त होता है ॥२७॥
सव ा ध व नमृ ः सवरोग वव जतः ।
अजरामरणो भू वा सदा षोडशवा षकः ॥२८॥
वह स पूण ा धय से मु हो जाता है, सब कार के रोग उसके शरीर से भाग जाते ह । वह अजर-अमर होकर सदा के लये सोलह वष वाला बन जाता
है ॥२८॥
वचर खलान् लोकान् ा य भोगां लभान् ।
त मा ददं महागो यं कवचम् समुदा तम् ॥२९॥
इस लोक म लभ भोग को ा त कर स पूण लोक म वचरण करता रहता है । इस लये इस महा-गोपनीय कवच को मृतस ीवन नाम से कहा है ॥२९॥
मृतस ीवनं ना ना दे वतैर प लभम् ॥३०॥
यह दे वत के लय भी लभ है ॥३०॥

॥ व स कृत मृतस ीवन तो म् ॥

का यायनी पूजन Katyani Pujan

GorakhNath Shabar Mantra

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