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अनन्त पद्मनाभ व्रत पज
ू ा
Check List
3. Matchbox, Agarbatti
6. Puujaa Conch, Bell, One aaratii (for Karpoor), Two Aaratiis with wicks
11. Betel nuts 6, Betel nut Leaves 12, Bananas 6, Banana Leaves 2, Mango Leaves 5-25
13. Panchaamrita - Milk, Curd, Honey, Ghee, Sugar, Tender Coconut Water
शचीपुरंदराभ्यां नमः |
(Prostrations to the Indra and shachii) सर्विदा सर्वि कायेषु नास्स्त तेषां अमङ्गलम ् |
उमामिे श्र्वराभ्यां नमः |
येषां हृहदस्र्ो भगर्वान ् मङ्गलायतनो िररः ||
(Prostrations to Shiva and pArvati)
लक्ष्मीनारायणाभ्यां नमः |
(When Lord Hari, who brings auspiciousness is
(Prostrations to the Lords who protect us - LakShmi and
situated in our hearts, then there will be no more
NArAyaNa)
inauspiciousness in any of our undertakings)
मातार्पतभ्
ृ यां नमः |
(Prostrations to our parents)
सर्वेभ्यो दे र्वेभ्यो नमो नमः | तदे र्व लग्नं सहु दनं तदे र्व ताराबलं चंद्रबलं तदे र्व .
(Prostrations to all the Gods) र्र्वद्याबलं दै र्वबलं तदे र्व लक्ष्मीपतेः तें निऽयुगं
सर्वेभ्यो ब्राह्मणेभ्यो नमो नमः | स्मरासम ||
(Prostrations to all Brahamanas - those who are in the religious
(What is the best time to worship the Lord? When our
path)
hearts are at the feet of Lord Narayana, then the
एतद्कमि प्रधान दे र्वताभ्यो नमो नमः | strength of the stars, the moon, the strength of
knowledge and all the Gods will combine and make it
(Prostrations to Lord Anantapadmanabha Swamy, the main
the most auspicious time and day to worship the Lord)
deity of this puja)
|| अर्र्वघ्नमस्तु || लाभस्तेषां जयस्तेषां कुतस्तेषां पराजयः .
येषां इस्न्दर्वरश्यामो हृदयस्र्ो जनादि नः ||
सुमुखश्च एकदं तश्च कर्पलो गजकणिकः . (When the Lord is situated in a person's heart, he
लंबोदरश्च र्र्वकटो र्र्वघ्ननाशो गणाधधपः || will always have profit in his work and victory in all
that he takes up and there is no question of defeat
धम्र
ू केतुगण
ि ाध्यक्षो बालचन्द्रो गजाननः . for such a person)
श्री श्र्वेतर्वराि कल्पे र्वैर्वस्र्वत मन्र्वन्तरे --------------- उरू तदस्य यद्र्वैश्यः पद्भ्यां शूद्रो अजायत ।।
दे श,े शासलर्वािन शके र्वतिमाने व्यर्विाररके ------------ ॐ ह्ीं | तजिनीभ्यां नमः | सशरसे स्र्वािाः ||
(touch both fore fingers)
नाम संर्वत्सरे दक्षक्षणायणे र्वषाि ऋतौ भाद्रपद मासे
शुकल पक्षे चतुदिश्याम ् नतर्ौ ----- नक्षिे ----- र्वासरे ॐ चन्द्रमा मनसो जातः चक्षोः सूयो अजायत ।
सर्वि ग्रिे षु यर्ा रासश स्र्ान स्स्र्तेषु सत्सु एर्वं मुखाहदन्द्रश्चास्ग्नश्च प्राणाद्र्वायुरजायत ।।
गुणर्र्वशेषेण र्र्वसशष्टायां शुभपुण्यनतर्ौ मम आत्मन ॐ ह्ुं | मध्यमाभ्यां नमः | सशखायै र्वषट् ||
श्रनु तस्मनृ त परु ाणोकत फलप्राप्यर्ं मम सकुटुम्बस्य (touch middle fingers)
सामग्रव्या गणेश र्वरुण ब्रह्मा सूयािहद नर्वग्रि इंद्राहद पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः ध्यायासम. ध्यानम ्
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५.(२) हदग्बन्धन
( show mudras)
समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आर्वािनं समपियासम |
ॐ अनन्तपद्मनाभ इनत हदग्बन्धः | ॐ मिागणपतये नमः. आसनं समपियासम |
(snap fingers, circle head clockwise and clap hands)
ॐ मिागणपतये नमः. पाद्यं समपियासम |
हदशो बद्नासम ||
(shut off all directions i.e. distractions so that we can ॐ मिागणपतये नमः. अघ्यं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. आचमनीयं समपियासम |
concentrate on the Lord)
------------------------------------------------------------------------
ॐ मिागणपतये नमः. स्नानं समपियासम |
६ गणपनत पज
ू ा ॐ मिागणपतये नमः. र्वस्िं समपियासम |
(To prevent any obstacle from disrupting an auspicious ॐ मिागणपतये नमः. यज्ोपर्वीतं समपियासम |
occasion, it is begun with the worship of Lord Ganapati.)
ॐ मिागणपतये नमः. चंदनं समपियासम |
आदौ ननर्र्विघ्नता ससध्यर्ं मिा गणपनत पज
ू नं ॐ मिागणपतये नमः. पररमल द्रव्यं समपियासम |
कररष्ये . ॐ मिागणपतये नमः. पुष्पाणण समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. धप
ू ं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा शौनको गत्ृ समदो गणपनतजिगती ॐ मिागणपतये नमः. दीपं समपियासम |
गणपत्यार्वािने र्र्वननयोगः || ॐ मिागणपतये नमः. नैर्वेद्यं समपियासम |
(pour water)
ॐ मिागणपतये नमः. ताम्बूलं समपियासम |
ॐ मिागणपतये नमः. फलं समपियासम |
ॐ गणानां त्र्वा गणपनतं िर्वामिे
ॐ मिागणपतये नमः. दक्षक्षणां समपियासम |
कर्र्वं कर्वीनामुपम श्रर्वस्तमं |
ॐ मिागणपतये नमः. आनतिकयं समपियासम |
ज्येष्ठराजं ब्रह्मणां ब्रह्मणस्पत
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः.
आ नः शण्ृ र्वन्नूनतसभः सीदसादनं ||
मन्िपष्ु पं समपियासम |
भूः गणपनतं आर्वाियासम .
ॐ भूभर्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः |
भर्व
ु ः गणपनतं आर्वाियासम .
प्रदक्षक्षणा नमस्कारान ् समपियासम |
------------------------------------------------------------------------
ॐ र्वक्रतुण्ड मिाकाय कोहटसूयि समप्रभ.
१० कलश स्र्ापना
ननर्र्विघ्नं कुरु मे दे र्व सर्वि कायेषु सर्विदा || (Two small heaps of rice should be made on the ground
amidst chanting mantras. Later, chanting the mantra two pots
ॐ भभ
ू र्व
ुि स्र्वः मिागणपतये नमः. प्रार्िनां समपियासम|
of either gold, silver, copper or unbroken earthen pots
should be placed on these two heaps.)
अनया पज
ू या र्र्वघ्निताि मिागणपनतः प्रीयताम ् || ॐ आ कलशेषु धार्वनत पर्र्विे पररससंच्यते
उकतैयज्
ि ेषु र्वधिते ||
(Offering of flowers - May Shri Mahaganapati, the vanquisher
of all obstacles be appeased with this worship of mine’, (keep kalasha on top of rice pile)
chanting thus water should be released.) ॐ इमं मे गङ्गे यमन
ु े सरस्र्वती शत
ु हु द्र स्तोमं
------------------------------------------------------------------------ सचता परुष्ण्या .
७ दीप स्र्ापना अससकन्य मरुद्र्वध
ृ े र्र्वतस्तयाजीकीये श्रण
ु ुह्या
सुषोमया ||
अर् दे र्वस्य र्वाम भागे दीप स्र्ापनं कररष्ये | (fill kalasha with water)
अस्ग्ननािस्ग्नः ससमध्यते कर्र्वग्रििपनतयर्व
ुि ा िव्यर्वात ् ॐ गंधद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपष्ु टां करीर्षणीं .
जर्व
ु ास्यः || ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वयेधश्रयं ||
(sprinkle in/apply ga.ndha to kalasha)
(light the lamps)
ॐ या फसलनीयाि अफला अपष्ु पायाश्च पस्ु ष्पणीः .
------------------------------------------------------------------------
बि
ृ स्पनत प्रसोतास्र्ानो मंचत्र्वं ि सः ||
८ भूसम प्रार्िना
(put betel nut in kalasha)
(open palms and touch the ground.
first the earth (ground) on the right hand side (since the host ॐ सहिरत्नानन दाशष
ु स
ु र्व
ु ानत सर्र्वता भगः .
performing the religious ceremony is facing the east, the hand
touching the ground is in the southern direction) and then the तम्भागं धचिमीमिे ||
earth on the left hand side, in front of oneself (that is the (put jewels / washed coin in kalasha)
ॐ हिरण्यरूपः हिरण्य सस्न्द्रग्पान्न पात्स्येद ु हिरण्य
northern direction) should be touched. Energies from the south
are distressing. To prevent them from causing distress, one
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| आचमनीयं समपियासम || ससंिपादे नमस्तुभ्यं नारससम्ह्यै नमोस्तुते |
------------------------------------------------------------------------ सर्विलक्षण संयुकते यमुने ते नमोस्तुते ||
११. ७ यमुना मधप
ु कं
श्री यमन
ु ा दे र्वतायै नमः| कञ्चक
ु ीं समपियासम||
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| पञ्चामत
ृ स्नानं ------------------------------------------------------------------------
कान्त्यै नमः | धाती पिं समपियासम|| सर्वि पाप िरे दे र्वी सर्वोपद्रर्व नासशनन |
र्र्वन्द्यर्वाससन्यै नमः | अगस्त्य पिं समपियासम|| सर्विर्व्रतसखे दे र्र्व यमुने ते नमोस्तुते ||
भागीरत्यै नमः | तल
ु सी पिं समपियासम||
सुरासुरपूस्जतायै नमः | समस्त पिाणण समपियासम|| शीताकसशिण्यै नमः ||
------------------------------------------------------------------------ शभ्र
ु र्वणाियै नमः ||
११. १९ अर्ः पुष्प पूजा कनकायै नमः ||
कण्ठोत्पलायै नमः ||
भागीरत्यै नमः | कमल पुष्पं समपियासम|| त्रिगुणास्त्मकायै नमः ||
र्र्वन्द्यर्वाससन्यै नमः | नीलोत्पल पुष्पं समपियासम||
कौमायै नमः | नन्दार्वति पुष्पं समपियासम|| ब्रह्मरूपायै नमः ||
काळ्यै नमः | मन्दार पुष्पं समपियासम|| मिारूपायै नमः ||
कान्त्यै नमः | सुरस्न्ग पुष्पं समपियासम|| गौयै नमः ||
शङ्कराधिशरीररण्यै नमः ||
सरस्र्वत्यै नमः || घत
ृ र्वनति समायुकतं भर्वान्यै च ननर्वेहदतम ् |
ग्रिाण मङ्गलं दीपं सर्वेश्र्वयि प्रदानयनन ||
११. २१ यमुना धप
ू ः
श्री यमुना दे र्वतायै नमः| उत्तरापोषणं समपियासम ||
------------------------------------------------------------------------
दशाङ्गम ् गुग्गुलम ् धप
ू ं चन्दनागरु संयुतम ् |
११. २४ यमुना पानीयं
येतेशव्े योत्तमं धप
ू ं यमुने ते नमोस्तुते ||
श्री यमुना दे र्वतायै नमः | फलम ् समपियासम || प्रदक्षक्षण ियं दे र्र्व प्रयत्नेन मयाक्रतं |
------------------------------------------------------------------------ अनन्त सागरात ् पूर्वं सर्वि सौभाग्यदानयनन ||
११. २८ यमुना दक्षक्षणा
कररष्यासम व्रतं दे र्र्व त्र्वद् भकत्यात ् त्र्वत ् प्रसादतः | नर्वनाग कुलाधीश शेशोधारक काश्यप |
श्री यमुना दे र्वतायै नमः | नमस्करान ् समपियासम || पुरुष एर्वेदगं सर्विम ् यद्भूतं यच्छ भव्यम ् ।
उतामत
ृ त्र्वस्येशानः यदन्नेनानतरोिनत ||
श्री शेषाय नमः | आचमनं समपियासम || कौशेय युग्मम ् दे र्वेश प्रीत्य तर्व मयार्पितम ् |
------------------------------------------------------------------------ पन्नगाधधश नागेश ताक्ष्यिशिो नमोस्तुते ||
११. २.६ शेष मधप
ु कं तं यज्ं बहििर्ष प्रौक्षन ् पुरुषं जातमग्रतः ।
कुमाररूर्पणे तुभ्यं दधधमध्र्वज्य सम्युतं | तेन दे र्वा अयजन्त साध्या ऋषयश्च ये ||
मधप
ु कं प्रदास्यासम सपिराज नमोस्तुते ||
यत्पुरुषेण िर्र्वषा दे र्वा यज्मतन्र्वत । श्री शेषाय नमः | र्वस्िं समपियासम ||
र्वसन्तो अस्यासीदाज्यम ् ग्रीष्म इध्मश्शरद्धर्र्वः || ------------------------------------------------------------------------
प्राणाय स्र्वािा
ॐ श्री शेषाय नमः | मिाफलं समपियासम ||
अपानाय स्र्वािा
------------------------------------------------------------------------
व्यानाय स्र्वािा ११. २. २१ मिा नीराजन
उदानाय स्र्वािा
समानाय स्र्वािा ॐ धश्रयै जातः धश्रय अननररयाय धश्रयं र्वयो
जररतभ्
ृ यो ददानत
मध्ये पानीयं समपियासम | धश्रयं र्वसाना अमत
ृ त्र्वमायन ् भर्वंनत सत्य स
उत्तरापोशनं समपियासम || समर्ासमतद्रौ
धश्रय एर्वैनं तत ् धश्रयामादधानत संततमच
ृ ा र्वषट्कृत्यं
श्री शेषाय नमः | िस्त प्रक्षाळनं समपियासम || संतत्यै संधीयते प्रजया पशुसभः य एर्वं र्वेद ||
श्री शेषाय नमः | मुखप्रक्षाळनं समपियासम || कपरूि दीपं करुणार्वतारं संसार सारं भज
ु गेन्द्रिारम ् |
|| कलशः प्रार्िनाः ||
श्री शेषाय नमः | प्रदक्षक्षणः नमस्कारान ् समपियासम||
------------------------------------------------------------------------ कलशः कीनतिमायुष्यं प्रज्ां मेधां धश्रयं बलम ् |
११. २. २४ प्रार्िना योग्यतां पापिाननं च पण्
ु यं र्वद्
ृ धधं च साधयेत ् ||
अनन्तकल्पोकतफलं दे हिमे त्र्वं मिे श्र्वर |
(Let this kalasha increase our life span, presence
त्र्वत्पूजारहितच्छाधं फलं प्राप्नोनत मानर्वः || of mind, intellect,wealth, strength and status, destroy
our sins and increase our merits or puNya)
सूयम
ि ण्डलाय नमः ||
चन्द्रां हिरण्मयीं लक्ष्मीं जातर्वेदो ममार्वि ।। यस्यां हिरण्यं र्र्वन्दे यं गामश्र्वं पुरुषानिम ् ।।
आसनं समपियासम ।।
------------------------------------------------------------------------
श्री लक्ष्मी सहित श्री अनन्तपद्मनाभाय
२६ पाद्यं
सांगाय सपररर्वाराय सायध
ु ाय
(offer water)
सशस्कतकाय नमः ।
एतार्वानस्य महिमा अतो ज्यायागंश्च पूरुषः ।
श्री लक्ष्मी सहित श्री अनन्तपद्मनाभं सांगं
पादोऽस्य र्र्वश्र्वा भत
ू ानन त्रिपादस्यामत
ृ ं हदर्र्व ।।
सपररर्वारं सायुधं सशस्कतकं आर्वाियासम ।।
(offer flowers to Lord)
अनन्त दे र्वदे र्वेश परु ाण परु
ु षोत्तम |
पाद्यम ् गि
ृ ाण भगर्वन ् गन्धपुष्पाक्षतैयत
ुि ं .
आर्वाहितो भर्व । स्र्ार्पतो भर्व । सस्न्नहितो भर्व ।
सस्न्नरुद्धो भर्व । अर्वकुस्ण्ठतो भर्व । सुप्रीतो भर्व । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पादोयो पाद्यं
सप्र
ु सन्नो भर्व । सम
ु ख
ु ो भर्व । र्वरदो भर्व । समपियासम ।।
प्रसीद प्रसीद ।। अश्र्वपूर्वां रर्मध्यां िस्स्तनादप्रमोहदनीम ् ।
(show mudras to Lord) धश्रयं दे र्वीमुपह्र्वये श्रीमाि दे र्वी जुषताम ् ।।
पादोयो पाद्यं समपियासम ।।
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------------------------------------------------------------------------
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः संभत
ृ ं पष
ृ दाज्यम ् । ३७ नाना पररमल द्रव्य
गि
ृ ाण नानाभरणानन अनन्तपद्मनाभाय ननसमितानन । गार्वो ि जक्षज्रे तस्मात ् तस्माज्जाता अजार्वयः।।
ललाट कंठोत्तम कणि िस्त ननतम्ब िस्तांगुसल मनसः काममाकूनतं र्वाचः सत्यमशीमहि |
भष
ू णानन ।। पशूनां रूपमन्नस्य मनय श्रीः श्रयतां यशः ||
माल्यादीनन सग
ु न्धीनन माल्यतादीनन र्वैप्रभो ।
तस्माद्यज्ात्सर्वििुतः ऋचः सामानन जक्षज्रे ।
मया हह्तानन पूजार्ं पुष्पाणण प्रनतगह्
ृ यताम ् ।।
छन्दााँसस जक्षज्रे तस्मात ् यजस्
ु तस्मादजायत ।।
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पष्ु पाणण
गन्धद्र्वारां दरु ाधषां ननत्यपुष्टां करीर्षणीम ् |
समपियासम।।
ईश्र्वरीं सर्विभूतानां तासमिोपह्र्वये धश्रयम ् ||
गौरोचन चंदन दे र्वदारु कपरूि कृष्णागरु नागराणण ।
तुलसी कुन्दमन्दार पाररजाताम्बुजैयत
ुि ां
कस्तूररका केसर समधश्रतानन यर्ोधचतं
पञ्चसभग्रिधर्ता माला र्वैजयंनत क्यते ।।
अनन्तमयार्पितानन ।।
कहट सूताङ्गुली येच कुण्डले मुकुठं तर्ा । ॐ सशरः पाणये नमः | अष्टम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
र्वनमालां कौस्तुभं च गि
ृ ाण पुरुषोत्तम ।। ॐ बलबद्राय नमः | नर्वम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | नाना अलंकारान ् ॐ मुससलने नमः | दशम ग्रस्न्र्ं पूजयासम ||
ॐ इंद्राय नमः ।
ॐ ब्राह्म्यै नमः ।
ॐ अग्नये नमः ।
Kaundinya accompanied by his wife Susheela Susheela wore the red thread and with the thoughts
travels and by afternoon reaches the bank of a river. of Ananta Padmanabha, accompanied her husband
That day being Bhadrapada Shukla Chaturdashi to his ashram. Because of the power of Anantavrata,
many Brahmins and their wives who were wearing Kaundinya's ashram acquired beauty and wealth.
red dress, were worshipping Ananta Padmanabha. All his relatives were eagerly waiting to do the
Curious Susheela approaches these ladies and asks Anantavrata. Susheela had acquired an aura of
them for details of the vrata. They say that the Vrata brilliance.
is called Ananta Vrata and the fruits are infinite(
अनन्त) ; when Susheela showed interest to do the One day Kaundinya sees the red thread on
Susheela's hand and asks for an explanation; In spite
Vrata, they tell Susheela the details as follows :
of her telling him the truth, in a fit of anger and
jealousy, Kaundinya forcibly removes the thread
The Vrata is to be performed on Bhadrapada Shukla
and throws in the fire.Sushila picks up the half
Chaturdashi. Having taken bath and wearing a clean
burnt thread and immerses it in milk. His behaviour
dress, decorate the altar with devotion. Keep a
proved very dear to Kaundinya; pretty soon all his
kalasha on the south of the altar in which you invite
wealth was lost; his relatives desert him; his cattle
the Lord. Keep 7 darbhas tied to each other to
died and he now knows that this was on account of
represent Ananta. Keep a red thread with 14 knots
his rudeness to Ananta Padmanabha swami in the
on the altar. Worship lord with 14 variety of flowers
form of red thread.
and 14 variety of leaves. The prasad for this vrata is
Atiras. Make 28 of them and serve them to
Kaundinya leaves his house in search of Anantha
brahmanas. Those attendning should be given food
padmanabha. Like a demented person he enters the
and respect. Do this vrata for 14 years each year
jungle and asks a mango tree full of mangoes, have
replacing the thread that was worn in the earlier
you seen Ananta Padmanabha swami? He goes
year. In the 15th year do the udyapana (conclusion
further and asks a cow along with its calf the same
with donation of gifts to Brahmanas)
question. A little further he meets a bullock to who
he poses this question. His travel brings him near
Having listened to the narration with attention, faith
two lakes which were overflowing to whom he puts
and devotion, Susheela performed the puja with
the same question. The next in line were a donkey
those gathered there, distributed half of the fried
and an elephant who could not answer his question.
wheat flour to brahmanas. She prepared a ‘Thoran’
By now he was tired and heartbroken. He falls
(thread) mixed with turmeric powder with fourteen
down there. Lord in His infinite compassion comes
‘Grandhis’ (knots), offered to the Lord and tied on
there in the form an old Brahman, revives him and
left hand wrist for women and on right wrist on men
takes him to a palace where he shows him his four
and while winding up the Thoran, recited the
armed form along with Mahalakshmi. Kaundinya
following Mantra:
praises the Lord in many stotras. The Lord please
gives him three boons viz., Removal of poverty,
अनंत संसार मिासमद्र
ु े मग्नान ् समभ्यद्
ु धर र्वासद
ु े र्व. ability to follow dharma, mukti saubhagya.
अनंत रुपे र्र्वननयोस्जतात्मा अनंत रूपाय नमो नमस्ते
Now Kaundinya asks the Lord about the strange
sights he saw on the way to Him. The Lord
ॐ नारायणाय नमः |
ॐ श्रीमद् अनन्ताय नमः |
ॐ पूणािय नमः |
ॐ कृष्णाय नमः |
ॐ औषधाय नमः |
ॐ अच्युताय नमः |
ॐ शाश्र्वताय नमः |
ॐ पुरुषाय नमः |
ॐ श्रीपतये नमः |
ॐ अनन्ताय नमः |
ॐ र्र्वभर्वे नमः |
ॐ साक्षक्षणे नमः |
ॐ ज्येष्ठाय नमः |
ॐ योगाय नमः |
ॐ अनन्तस्जह्र्वाय नमः | गि
ृ ाण मङ्गलं दीपं िैलोकय नतसमरापिम ् ||
ॐ अनन्त दौंष्राय नमः | भकत्या दीपं प्रयश्चासम दे र्वाय परमात्मने ।
ॐ मक
ु ु टाय नमः | ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | दीपं दशियासम ||
-------------------------------------------------------------
ॐ अंबराय नमः | ५१ नैर्वेद्यं
ॐ अनघाय नमः | (dip finger in water and write a square and 'shrii'
mark inside the square. Place naivedya on 'shrii'|
ॐ परमपरु
ू षाय नमः | remove lid and sprinkle water around the vessel;
ॐ िररर्वल्लभाय नमः | place in each food item one washed tulsi leaf or
flower or akshata)
ॐ गप्ु ताय नमः |
ॐ पुष्कराय नमः | ॐ अनन्ताय र्र्वद्मिे । पद्मनाभाय धीमहि ।
ॐ दृढाय नमः | तन्नो र्र्वष्णु प्रचोदयात ् ।।
ॐ स्र्वणिनाभाय नमः |
ॐ अनेकमत
ू य
ि े नमः | ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | (show mudras)
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभ दे र्वताभ्यो नमः ।
इनत अष्टोत्तर पूजां समपियासम ।। ननर्वीषी करणार्े ताक्षि मुद्रा |
------------------------------------------------------------------------ अमत
ृ ी करणार्े धेनु मुद्रा |
४९ धप
ू ं पर्र्विी करणार्े शंख मुद्रा |
र्वनस्पत्युद्भर्वो हदव्यो गन्धद्यो गन्ध उत्तमः | संरक्षणार्े चक्र मुद्रा |
अनन्तपद्मनाभ मिीपालो धप
ू ोयं प्रनतगह्
ृ यतां || र्र्वपुलमाय करणार्े मेरु मुद्रा |
‘ॐ जय जगदीश िरे , स्र्वामी जय जगदीश िरे पदभ्यां भूसमहदि शः श्रोिात ् तर्ा लोकााँ अकल्पयन ्।।
जो ध्यार्वे फल पार्वे, दख
ु त्रबनसे मन का
ॐ ममत्तु नः पररज्मा र्वसिाि ममत्तु र्वातो अपां डोररूपेण मा रक्ष पुराण पुरुषोत्तम
र्वष
ृ ण्र्वान ् ।
सशशीतसमन्द्रापर्विता यर्व
ु ं नस्तन्नो र्र्वश्र्वे र्वररर्वस्यन्तु डोर बन्दनं (tie the thread)
दे र्वाः ॥
ॐ कर्ा तेअग्ने शच
ु यन्त आयोदि दाशर्व
ु ािजेसभराशष
ु ाणाः। संसार सागरगि
ु ां सस
ु ख
ु म ् र्र्वितम
ुि ्
उभे यत्तोके तनये दधाना ऋतस्य सामन्रणयन्त दे र्वाः ॥ र्वाञ्छस्न्त ये कुरुकुलोद्भर्व शद्धसत्र्वाः
सम्पज्
ू य च त्रिभर्व
ु नेशमनन्त दे र्वं
समे कामान ् काम कामाय मह्यं सूि ग्रस्न्तशु सम्स्ताप्य श्री अनन्ताय नमो नमः
ग्रिे आर्वीक्षक्षतस्य कामप्रेर्र्विश्र्वेदेर्वा सभासद इनत || (offering respects to the previous thread)
(chant १४ names of ananta padmanAbha from
ashtothara)
ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः | मंिपुष्पं समपियासम||
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पूर्वक
ि आसनं गन्ध अक्षत धप ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आर्वाियासम ।
ू दीपाहद सकलाराधनै
स्र्वधचितम ् ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । आसनं
समपियासम।
नारायण प्रनतगह्
ृ णातु नारायणो र्वै ददानत च ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । पाद्यं समपियासम।
नारायणो तारकोभ्यां नारायणाय नमो नमः । ॐ श्री अनन्तपद्मनाभाय नमः । अघ्यं समपियासम।