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Rubaroo – जजसने बच्चों में उम्मीद के बीज बचए - अरजिन्द गुप्ता

By बाबामायाराम on Aug. 25, 2017 in Learning and Education

जिज्ञान और गजणत ऐसे जिषय हैं , जजनमें बच्े अक्सर जिछड़ जाते हैं ।ऐसे में हमें अरजिन्द गुप्ता से मदद जमल सकती है । जिछले चार दशकचों से अरजिन्द
गुप्ता गरीब बच्चों के जलए कचरे से खिलौने बनाकर गजणतऔर जिज्ञान की जशक्षा दे ने के जलए जाने जाते हैं ।िेअब तक िों द्रहसौ से ज्यादा खिलौने बना
चु के हैं , उन्चोंने हजारचों िीजडयच बनाए हैं ।
इन मजे दार खिलौने से जिज्ञान कच लचकजिय बनाने के जलए 20 दे शचों के तीन हजार से ज्यादा स्कूलचों में काययशालाएों कर चु के हैं । अब तक लािचों जिद्याथी
उनके बनाए खिलौनचों से लाभाों जित हच चुके हैं । यूट्यूब िर उनके िीजडयच सिा िाों च करचड़ लचग दे ि चु के हैं जच एक ररकाडय है । उनकी
िे बसाइट (www.arvindguptatoys.com) से रचज 15 हजार जकताबें मुफ्त में डाउनलचड हचती हैं ।
अरजिन्द गुप्ता ने कानिुर आईआईटी से इों जीजनयररों ग से बीटे क जकया है । शु रू में उन्चोंने िु णे में टाटा मचटसय में काम जकया लेजकन िहाों उनका मन नहीों
लगा। िे अिने जजों दगी के मायने ढूोंढ़ रहे थे।
उस समय चीनीकजिलाओत्सुकी कजिता एक नारे की तरह िचलन में थी।एक चीनीकजिलाओत्सुकीकजिता है , जच 70 के दशक में एक नारा बन गई थी

लचगचों के बीच जाओ और रहच,


उनसे प्यार करचऔर सीिच,
िे जच जानते हैं , िहाों से शुरू करच
जच उनके िास है उसे हीआगे बढ़ाओ.

अरजिन्द गुप्ता भी इससे बहुत िभाजित थे।कुछ साथय क करने की तलाश में मध्यिदे श में हचशों गाबाद जजले के एक गाों ि में आिहुों चे, जहाों जकशचर भारती
सों स्था स्कूली जशक्षा में जिज्ञान जशक्षा िर काम कर रही थी।हचशों गाबाद जिज्ञान जशक्षण काययक्रम से जु ड़कर उन्चोंने छह महीने काम जकया।

यही िह मचड़ है जहाों से उनकी जजोंदगी की जदशा बदल गई। जकशचरभारती से 7 जकलचमीटर दू र एक छचटा कस्बा बनिे ड़ी है । िहाों शु क्रिार कच
साप्ताजहक बाजार लगताहै । सड़क के जकनारे दु कानेंलगती हैं ।िहाों से िे छचटी मचटी सस्ती चीजें िरीदते थे और उनसे खिलौने बनाते थे और उसके िीछे
के जिज्ञान कच बच्चों कच समझातेथे।
साइजकल के िजहए में लगने िाली िाल्वट्यूब, माजचस की तीली, कचरे में िड़ा िायर या बचतल, झाडू की सीक
ों जै से सामानचों से िे खिलौने बनाते थे । उन्ें
इस काम में टे ल्कचमेंटरक जडजाइन करने से ज्यादा मजा आया। और इससे कई गरीब बच्चों का बचिन खिलौनचों से महरूम हचने से भी बच गया।
िे कहते हैं जक जकसी बात कच समझने के जलए िहले बच्चों कच अनु भि की जरूरत हचती है । अनु भि में चीजचों कच दे िना, सु नना, छूना, चिना,
सूों घनाआजद कुशलताएों शाजमल हैं ।िे हमेशा ठचका-िीटीकर-करके कुछ बनाते रहते हैं ।
बच्चों में नया कुछ करने की हमेशा चाहत रहतीहै । िे बताते हैं जक कुछ समय के जलए िे छत्तीसगढ़ में लचहे की िदानचों के बीच काम करने िाले मजदू रचों
के बीच गएथे । िहाों लचहा ित्थर ढचने के जलए डम्पर टर क चलते थे । िहाों के बच्े दच माजचस की जडखियचों की मदद से िह डम्पर टर क बनाकर िेल रहे
थे । उसमें लीिर का काम करने के जलए तीली का इस्ते माल जकयागया था। इसे दे िकर अरजिन्दजी आश्चययचजकत हुए और उन्चोंने इसे अिनी खिलौनचों
की सू ची में “माजचस का डम्परटर क” शाजमल कर जलया।
इन सब ियचगचों िर आधाररत उन्चोंने िषय 1984 में मैजचखिक माडल एों डअदर साइों स एक्सिे रीमेंटस बुक जलिी।अब यह जकताब 12 भाषाओों में है ।
इसके बाद उन्चोंने 25 जकताबेंऔर जलिी ों। इसके बाद िे िुणे में आयुका (दइों टर- यू जनिजसयटी सें टर फार एिर चनामी एों ज एिर चजफजजक्स, िु णे) में बाल-
जिज्ञान केंद्र के कच-आजडय नेटर बने ।िहाों हर जदन िे नए-नए खिलौने बनाते थे, जफर उनकी िीजडयच बनाते थे ।

इसके अलािा, दु जनया के अच्छे बाल साजहत्य और जशक्षा की जकताबचों का जहन्दी अनु िाद करके और उनकी िीडीएफ बनाकर अिनी िेबसाइट िर
डालते हैं । हरजदन 7 से 8 घोंटे यही काम करते हैं । दे श के लगभग 7 राज्यचों में जहन्दी बचलने िाले 40 करचड़ लचग हैं । जफर भी जहन्दी में शै क्षजणक और
बालसाजहत्य उतना समृद्ध नहीों है ।इस काम कच करने में रातजदन जुटे रहते हैं ।
अरजिन्द गुप्ता कहते हैं जक मेरी जजोंदगी का एक ही मकसद है जक मैं न केिल दे श बखल्क िू री दु जनया के बच्चों कच जकताबें, िीजडयच, मेरे बनाए खिलौनचों
कच बनाना सीिने के तरीके मुफ्त में उिलब्ध कर सकूों, ताजक ज्ञान िाने के रास्ते में गरीबी या सों साधनचों की कमी आड़े न आए, अभी िेबसाइट िर साढ़े
िाों च हजार जकताबें भारतीय भाषाओों में उिलब्ध हैं । िे अब तक 220 जकताबचों का अनु िाद कर चु के हैं ।
उनकी जचोंता है जक हमारे दे श में बखल्क दु जनया के कई दे शचों में गरीबी के चलते बच्े खिलौने िरीद नही ों सकते । जब िे कचरे या बेकार सामान से अिने
खिलौने िु द बना कर िेलते हैं , तच इससे उन्ें बेहद िुशी हचती है । भारत में खिलौने बनाने की एक िु रानी िरों िरा रही है । िरों िरागत खिलौने फेंकी हुई
िस्तु ओों कच दु बारा इस्ते माल कर के बनते हैं , इसजलए िे सस्ते और ियाय िरण जमत्र हचते हैं ।

अरजिन्द गुप्ता अब जशक्षक हैं , इों जीजनयर हैं , िै ज्ञाजनक हैं , खिलौने बनाते हैं और जकताबचों से बहुत िे म करते हैं । िु द िढ़ते हैं और अनु िाद करते हैं ।
सबकच िढ़िाने के जलए उनकी िे बसाइट िर मुफ्त उिलब्ध करिाते हैं । िे बच्चों की उम्मीद हैं । बच्चों में भी उम्मीद जगाते हैं , उनमें उम्मीद के बीज
बचते हैं ।

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