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ू ा प्रश्न पत्र
संकलित परीक्षा – 2 (2015-16)
कक्षा दसव ं
पाठ्यक्रम – ब
ननर्ााररत समय – 3 घंटे अधर्कतम अंक – 90
ननदे श –
1. इस प्रश्न पत्र के चार खंड है – क, ख, ग, व घ I
2. चारों खंडो के प्रश्नों के उत्तर दे ना अननवाया है I
3. यथासंभव प्रत्येक खंड के उत्तर क्रमश दीजिए I
खंड – क
प्र०1 ननम्नलिखखत गदयांश को ध्यानपव
ू क
ा पढ़कर पछ
ू े गए प्रश्नों के उत्तर दीजिए I
तम्
ु हे क्या करना चाहहए, इसका ठीक-ठीक उत्तर तम्
ु ही को दे ना होगा, दस
ू रा कोई नहीं दे
सकता I कैसा भ ववश्वास-पात्र लमत्र हो, तम्
ु हारे इस काम को वह अपने ऊपर नहीं िे
सकता I हम अनभ
ु व िोगो की बातों को आदर के साथ सन
ु ें, बवु िमानों की सिाह को
कृतज्ञतापव
ू क
ा माने पर इस बात को ननजश्चत समझकर कक हमारे कायों से ही हमारी रक्षा
व हमारा पतन होगा, हमें अपने ववचार और ननर्ाय की स्वतंत्रता को दृढ़तापव
ू क
ा बनाए
रखना चाहहए I जिस परु
ु ष की दृजटट सदा न च रहत है , उसका लसर कभ ऊपर न होगा
I न च दृजटट रखने से यदयवप रास्ते पर रहें गे पर इस बात को न दे खेंगे कक यह रास्ता
कहााँ िे िाता है I धचत्त की स्वतंत्रता का मतिब चेटटा की कठोरता या प्रकृनत की
उग्रता नहीं है I अपने व्यवहार में कोमि रहो और अपने उददे श्यों को उच्च रखो, इस
प्रकार नम्र और उच्चाशय दोनों बनो I अपने मन को कभ मरा हुआ न रखो I िो
मनटु य अपना िक्ष्य जितना ऊपर रखता है , उतना ही उसका त र ऊपर िाता हैं, इस
धचत्त प्रवनृ त के बि पर मनटु य पररश्रम के साथ हदन काटता है और दररद्रता के दुःु ख को
झेिता है I धचत्त-वजृ त्त के प्रभाव से हम प्रिोभनों का ननवारर् करके सदा पद-दलित
करते है कुमंत्रर्ाओं का नतरस्कार करते हैं और शि
ु चररत्र के िोगो से प्रेम और उनकी
रक्षा करते हैं I
प्र० 2x6=12
क) हम ि वन में सही ननर्ाय ककस प्रकार िे सकते है ?
ख) िेखक न च दृजटट न रखने कक सिाह क्यों दे त है ?
ग) न च दृजटट रखने से क्या िाभ है ?
घ) धचत्त की स्वतंत्रता ककसे कहा गया है ?
ङ) मन को मरा हुआ रखने से क्या आशय है ?
च) धचत्त वजृ त्त के बि पर मनटु य सफिता ककस प्रकार प्राप्त करता है ?
खंड-ख
प्र०3
क) शब्द पद का रूप कब िेता है ? 1
ख) एक या अनेक अनेक वर्ों से ननलमात स्वतंत्र एवं साथाक इकाई _____
कहिात है 1
ग) ननदे शानस
ु ार वाक्य रूपांतरर् कीजिए –
i. क्योंकक हदवाकर साहस है , इसलिए परािय स्व कार नहीं करता I (सरि
वाक्य) 1
ii. संग ता अध्यावपका के घर फ्रेंच पढने गई I (लमश्र वाक्य) 1
iii. वह पढाई के साथ-साथ काम भ करता है I (संयक्
ु त वाक्य) 1
प्र०4
क) ननम्नलिखखत शब्दों का समास-ववग्रह करते हुए समास का नाम लिखखए I
i. धचंतामग्न 1
ii. पंिाब 1
ख) ननम्नलिखखत शब्दों को समस्त पद रूप में लिखकर समास का नाम लिखखए I
i. श्वेत है िो अम्बर 1
ii. व्रक के सामान उदर है जिसका 1
ग) ररक्त स्थान की पनू ता उधचत मह
ु ावरे दवारा कीजिए –
पलु िस की मार से अच्छे -अच्छों के ___________आ िाते है I 1
खंड – ग
प्र०9
क) ‘मनटु यता’ कववता में कवव ने ककन-ककन महापरु
ु षों के माध्यम से संदेश 2
हदया है ?
ख) बबहारी के दोहों में तपोवन से क्या तात्पया है ? 2
ग) ‘स्नेहहीन दीपक’ से क्या तात्पया है ? 1
प्र०10 ‘कर चिे हम कफ़दा’ ग त में “राम भ तम
ु तम्
ु ही िक्ष्मर्” के माध्यम 5
से कवव क्या कहना चाहते है ?
अथवा
‘आत्मत्रार्’ कववता में कवव को परमात्मा से क्या-क्या अपेक्षाएं नहीं है ?
प्र०11 ‘टोप शक्
ु िा’ पाठ के माध्यम से बच्चों को कोमि मनोवनृ त के ककस रूप को
उिागर ककया गया है ? 5
अथवा
‘सपनों के से हदन’ पाठ के आर्ार पर स्पटट कीजिए कक बचपन का समय सबसे
अच्छा होता है I
खंड – घ
खंड – ‘क’
(क) िब हम अनभ
ु व िोगों की बातों को आदर के साथ सन
ु े,बधु र्मानों सिाह को कृतज्ञता
पव
ू क
ा मानें
(घ) धचत्त की स्वतंत्रता से अलभप्राय सही ननर्ाय िेने में सक्षम होने के साथ व्यवहार में कोमिता व
उद्देश्य को उच्च रखना िेककन प्रकृनत में कठोरता या उग्रता नहीं होन चाहहए
(ड) िब मन उत्साहहीन, ननराश, उदास व पराजित महसस
ू करता है तब उसकी जस्थनत मरे समान हो
िाता है
(च) धचत्त वनृ त के बि पर मनटु य पररश्रम करके सभ दख
ु ों को साहस पव
ू क
ा झेि पाता है
उत्तर -2 2x4 =8
(क) एक हदन पनतयों ने डाि के ववषय में कहा था कक डाि में कोई कमाि नहीं है पर सत्य है कक वह
झूमत है, झुकत है, डोित है , ककन्तु वह गाँग
ू है I
(ख) पजत्तयााँ हर –हर व ममार स्वर करत है उनके ममार स्वर में रहस्य नछपा रहता है I पतझर में
झरत है और प्रत्येक वषा नत
ू न रूप र्ारर् करत है I
(ग ) पजत्तयााँ दनु नया को ध्वनन प्रदान इस कारर् करत है क्योंकक दनु नया का प्रत्येक मनटु य पशु –पक्ष ,
िि, वायु अधर्कांश वनस्पनत सभ ध्वनन ननकािते है I
(घ) पजत्तयााँ ग्र टम की मार से थके –हारे पधथक को अपन सघन छाया प्रदान कर उसके दुःु ख
व कटट को हर िेत है I
खंड –ख
उत्तर 3
(ख ) शब्द 1
(ग) (i) हदवाकर साहस होने के कारर् परािय स्व कार नहीं करता I 1
m- 4
¼d½ i fpark esa eXu &¼rRiq#"k lekl½ 1
ii ikap vkuksa dk lewg ¼f}xq lekl½ 1
¼[k½ i 'osrkEcj ¼deZ/kkj;½ 1
ii o`dksnj ¼cgqfozfg½ 1
¼x½ gksjk fBdkus 1
m-5
¼d½ i muds lkStU; ls ;g dke iwjk gqvk gSA 1
ii lsc LokLF;o/kZd Qy gSA 1
iii ogka yxHkx lkS yksx gSaA 1
iv ?kj esa lc ldq'ky gSA 1
¼[k½ *dqN le> esa u vkuk^ ¼dksbZ mfpr okD;½ 1
[k.M &x
m- 6
¼d½ tks O;fDr O;ogkfjd gksus ds lkFk&lkFk vkn'kZ dks Hkh vius O;ogkj esa ykrk gSA 2
¼[k½ cktkj ds pkSjkgs ij [kkeks'kh blfy, Fkh D;ksafd nqdkunkj viuh nqdkuksa esa [kkyh cSBs 2
Fks] dksbZ [kjhnnkj Hkh u FkkA
¼x½ vaMs t+ehu ij VwV dj fxj x, FksA 1
m-7 बढ़त आबादी ने पयाावरर् संति ु न को बबगाड़ा, ईश्वर ने प्रकृनत में सबके लिए िगह 5
बनाई, िेककन स्वाथी मनटु य ने अपने स्वाथा में सबको भि
ु ा हदया, वनों का दोहन,
वक्ष
ृ ों को काट डािा, रे त िे तट पर मानवों की बस्त बसा िी, वक्ष
ृ ों को काटकर बड़ -
बड़ इमारतें खड़ कर दीं I i'kq&if{k;ksa dk clsjk Nhuk] okrkoj.k esa o`{kksa dh deh ds
dkj.k xehZ esa c<+ksRrjh] csekSle cjlkr] dHkh rwQku] dHkh vkaf/k;k¡] dgh ck<+ rks dHkh
lw[kkA vktdy Hkwdai o HkwL[kyu vke ckr gks xbZA u,&u, jksxksa o egkekfj;ksa us
viuk izdksi fn[kkuk 'kq: dj fn;kA
m-8
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dkjukeksa ds fy, e'kgwj yksxksa dks bu nksuksa esa lekurk fn[krh Fkh
¼[k½ ot+hj vyh ds eu esa vaxzstksa ds f[kykQ uQjr Hkjh gqbZ Fkh] og vaxzstksa dk ?kksj 2
fojks/kh] mlus flQZ ikap eghus 'kklu fd;k mlh nkSjku vo/k ds njokj dks vaxzsth
izHkko ls eqDr djokus dk Hkjiwj iz;kl
¼x½ ot+hj vyh dk edln vo/k dks vaxzstksa ds izHkko ls eqDr djokuk FkkA 1
m-9
¼d½ dfo us n/khfp] d.kZ] jktk m'khuj o jfrnso tSls egkiq#"kksa ds mnkgj.k 2
¼[k½ Rkiksou esa ri fd;k tkrk gS] tgk¡ ijLij lnHkko vkSj fe=rk dk okrkoj.k jgrk gS] 2
dksbZ 'k=qrk dk Hkko ughaA
¼x½ fcuk rsy ds nhid vFkkZr vkdk'k esa pepekrs vusd rkjs vFkok bl lalkj esa jgus 1
okys vla[; yksx ftuds ân; esa Lusg ughaA
m-10 ¼dksbZ ,d mRrj½ 5
xhrdkj us iztkra= iz.kkyh dks lokZsifj crkrs gq, turk ds }kjk] turk ds fy, o
turk ls gh jktk ¼'kkld½ dh pquko iz.kkyh dks egRo fn;k gS tgka vke turk
viuh bPNk ls viuksa ds chp esa ls gh 'kkld pqurs gSa ftlls vke turk dh
ftEesnkjh c<+ tkrh gS] ogka jke cudj gesa gh 'kklu djuk gS vkSj Hkkjr :ih lhrk
dh j{kk dh ftEesnkjh gj ukxfjd dh gS] dfo us izR;sd ukxfjd dks mldh
ftEesnkjh o ns'kHkfDr dk lans'k fn;k gSA
अथवा
कवव को परमात्मा से यह अपेक्षा नहीं कक ईश्वर उसका भार हल्का करें , वह स्वयं
दख
ु ों का ननदान ढूंढना चाहता है , वह पौरुष बि को डगमगाने नही दे ना चाहता
वह नहीं चाहता कक ईश्वर हर मागा में हर ववपजत्त को सरि बना दें ववपजत्त में भ
उसमें इतन शजक्त भर दे कक सभ ववपजत्तयों का सामना कर सकेI यहद ि वन संग्राम
में र्ोखा उठाना पड़े तो भ वह हार न माने I
उ. 11 बच्चे प्यार के भख
ू ,े कोई र्मा, िानत व ् भाषा का बंर्न नहीं, िहााँ प्यार वहााँ खखचाव, 5
बच्चों को अपनेपन की आशा, भाई –बहनों के व च झगड़ो दवारा ख ंचतान, फेि
होने पर मानलसक दबाव, पाररवाररक व ् लमत्रों से स्नेह व सम्मान की आशा व
आवश्यकता I
अथवा
बचपन में मौिमस्त , स्कूि के गह
ृ काया पर शरारतें व दोस्तों का साथ, पररवार में
बड़ों का प्यार, नननहाि व दहदहाि से प्रेम, ववदयािय व लशक्षा के नए –नए अनभ
ु व,
कोई पररवाररक जिम्मेदारी नहीं I
( खंड घ )