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91 सीटें ही जीत सकीं। अन्य सभी दिों को लमिाकर 98 सीटें प्राप्त हुई ं। अगर वोट प्रलतशत को देखें 2. राष्ट्रिाद और पल ु िामा - पि
ु वामा की दभु ाववयपणू व घटना चनु ाव से कुछ ही लदन पहिे हुई थी
तो भाजपा को 37.4 प्रलतशत वोट आया यानी हर एक सौ वोट में से करीब 38 वोट भाजपा को गए इसलिए इसका असर काफ़ी रहा। टी.वी. और अन्य माध्यमों से गााँव-गााँव तक िोगों को
और कांग्रसे को 19.5 प्रलतशत वोट आया यानी हर एक सौ वोट में से करीब 20 वोट कांग्रसे को इसके बारे में पता था। पि ु वामा में हमारे क़रीब 50 सैलनक शहीद हुए। इसके बाद भारतीय
लमिा। सेना ने पालकस्तान की सरहद के अदं र बमबारी की लजसे “सलजवकि स्राइक” कहा गया।
भाजपा ने जनता के गस्ु से और मनःलस्थलत का फ़ायदा उठाते हुए िोगों को इस बात का
भरोसा लदिाया लक मोदी ही पालकस्तान को मज़ा चखा सकते हैं और उसने सलजवकि स्राइक
कर के लदखा भी लदया। भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ जैसे आपलत्तजनक शब्दों से
सबं ोलित कर मोदी की छलव को देश की सेना के सहारे मज़बतू लकया गया और चनु ाव में
इसका ़िबू इस्तेमाि हुआ। राष्ट्र को बचाना है तो मोदी को वोट करो वािी रणनीलत भी
़िबू काम आई। इस परू े शोर में लवपक्ष इस सवाि को उठाने में नाकामयाब रहा लक आल़िर
इतने सैलनक क्यों मरें ? अगर मज़बतू सरकार थी तो सैलनकों की जान कै से चिी गई? क्या
कोई िापरवाही हुई या जाससू ी तंत्र की कमी थी लजसकी वजह से यह हुआ? लवपक्ष यह भी
िोगों को नहीं समझा सकी लक भाजपा के शासन में ज़्यादा सैलनक मारे गए हैं। अगर सरकार
मज़बतू है तो ऐसा कै से हुआ? टी.वी. चैनिों ने भी मोदी की छलव को चमकाया लजसका
भरपरू असर हुआ।
3. मज़बतू विपक्ष का अभाि - इस चनु ाव में लवपक्षी एकता ढुिमि ु लदखी। जहााँ लवपक्ष एकजटु
भी हुआ तो देरी से। इस कारण िोगों के सामने एक मज़बतू लवकल्प नहीं लदखा। उत्तर प्रदेश
में सपा और बसपा एक साथ आए भी तो उसमें काफ़ी देरी हुई। कांग्रसे यहााँ अिग िड़ रही
थी। उसी तरह लबहार में भी परू ा लवपक्ष एक साथ नहीं था। महाराष्ट्र में प्रकाश अम्बेर्कर की
नई पाटी, काग्रं ेस और एन.सी.पी का गठबिं न साथ नहीं था।
4. प्रचार-प्रसार-पैसा-संगठन - चनु ाव में पैसा पानी की तरह बहाया गया। भाजपा ने सबसे
अलिक पैसा ़िचव लकया। लदल्िी के एक प्रलतलित संस्था के आंकिन के अनसु ार 2019 के
चनु ाव में क़रीब 60 हज़ार करोड़ रुपये ़िचव लकए गए उसमें से क़रीब आिा (30 हज़ार
करोड़) भाजपा और सहयोगी दिों ने लकया और क़रीब 12 हज़ार करोड़ कांग्रसे एवं उनके
लबहार की बात करें तो लबहार में 40 में से 39 सीट भाजपा और उनके सहयोगी दि (जदयू एवं िोजपा) सहयोगी दिों ने लकया। प्रचार-प्रसार में भी भाजपा बहुत आगे लदखी। ज़्यादातर टी.वी. चैनि
के खाते में गई। भाजपा, जदयू एवं िोजपा को लमिाकर 53.25 प्रलतशत वोट आया, और राजद और भाजपा और मोदी का गणु गान करते थक नहीं रहे थे। व्हाट्सऐप और फ़े सबक ु पर भी भाजपा
कांग्रसे को लमिाकर क़रीब 23 प्रलतशत वोट आया। अरररया में भाजपा को क़रीब 53 प्रलतशत और छाई रही।
राजद को 41 प्रलतशत, कलटहार में जदयू को 50 प्रलतशत और काग्रं से को 45 प्रलतशत, मिेपरु ा में 5. टॉयलेट – गैस – मकान - खाते में पैसा और योजनाओ ं का प्रचार-प्रसार - भाजपा ने अपने
जदयू को 54 प्रलतशत और राजद को 28 प्रलतशत और उलजयारपरु में भाजपा 57 प्रलतशत और द्वारा चिाई गई योजनाओ ं का ़िबू प्रसार-प्रचार लकया और इसका फ़ायेदा उन्हें लमिा। बड़े
रािोसपा को 28 प्रलतशत वोट आया। पैमाने पर टॉयिेट का पैसा िोगों को लमिा और कुछ राज्यों में लकसानों को भी 2000 रु
इनके खाते में लमिा। मलहिाओ ं को गैस कनेक्शन देना और आवास योजना में रक़म की
ज़ालहर है भाजपा को भारी जीत लमिी है। िोग इस नतीजे की उम्मीद नहीं कर रहे थे। लकसी को भी वृलि भी उनके लिए अच्छा रहा।
लकसी एक पाटी के लिए कोई “हवा” चिती नहीं लदख रही थी। नतीजा चौकाने वािा इसलिए भी था 6. मोदी - बनाम राहुल - भाजपा ने कई सािों के अथक प्रयास से राहुि गााँिी की छलव को
क्योंलक कुछ माह पहिे ही राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के नतीजे आये थे लजसमें कांग्रसे ने बबावद करने की कोलशश की है। दसू री तरफ़ मोदी की छलव एक मज़बतू नेता की बनाई गई
भाजपा को पछाड़ा था। और भी चीज़ें थीं जैसे लक भारत की आलथवक लवकास की दर सस्ु त हो गई थी है। राहुि बनाम मोदी में मोदी बहुत आगे लदखे। इस चनु ाव में जो िोग भाजपा से असंतष्टु थे
और 45 सािों में पहिी बार इतनी बेरोज़गारी थी। नोटबंदी पर तमाम जानकार िोगों का मानना था उन्हें यह कहा जा रहा था लक अगर मोदी नहीं तो कौन। लवपक्ष जवाब में खि ु कर राहुि गााँिी
लक इससे नुक़सान हुआ- िोगों की नौकररयााँ चिी गई और अथवव्यवस्था िड़खड़ा गई । इसके अिावा का नाम नहीं िे पा रहा था क्योंलक लवपक्ष में कौन अगिा प्रिानमंत्री होगा उसपर सहमलत
भाजपा ने 2014 में जो वायदे लकये थे (15 िाख का वायदा, 2 करोड़ नौकररयों का वायदा, कािा नहीं थी।
िन िाने का वायदा) उन वायदों को सरकार परू ा नहीं कर पाई थी। इसलिए िोग समझ नहीं पा रहे हैं
लक इतनी सीटों पर जीत कै से लमिी। हािााँलक यहााँ यह भी ध्यान रखना होगा लक इतनी बड़ी जीत के इन प्रमख ु कारणों के अिावा क्षेत्रीय स्तर पर अिग-अिग कारण भी थे जैसे लक लबहार में राजद और
बाद भी हर 100 वोट में से 55 वोट मोदी और भाजपा के ल़ििाफ़ लदया गया है । काग्रं से को यादव - मसु िमान की पाटी मान लिया गया और बाक़ी जालत दसू री तरफ़ गोिबदं हुई।
िेलकन यह बात साफ़ है लक भाजपा ने ़िदु भी ‘लवकास’ को मुख्य मद्दु ा न बनाकर लहन्दू - राष्ट्रवाद
सभी जानना चाहते हैं लक कारण क्या था? अगर ये मान लिया जाए लक चनु ावी प्रलक्रया में कोई िांििी और पालकस्तान को ही मख्ु य मुद्दा बनाया। इसके जवाब में लवपक्ष ़िासकर कांग्रसे पाटी बेरोज़गारी
नहीं हुई है तो लिर मेरी समझ से भाजपा की जीत के लनम्न कारण थे: और लगरती अथवव्यवस्था या लिर रािे ि घोटािा को मद्दु ा नहीं बना सकी। कांग्रसे ने जो अपनी तरफ़
से संकल्प पत्र जारी लकया था लजसमें 5 करोड़ गरीब पररवारों को सािाना 72 हज़ार रु. देने की बात
1. वहदं त्ु ि का एजेंडा और पावकस्तान का हौिा - िमव का गित इस्तेमाि कर और लहन्द-ू कही गई थी मगर यह संदश े पाटी जनता तक नहीं पहुचाँ ा पाई। कुि लमिाकर यह लनष्ट्कषव लनकािा जा
मसु िमान-पालकस्तान वािी नफ़रत की राजनीलत कर एक बार लिर भाजपा ने परू े देश में वोट सकता है लक भारतीय िोकतत्रं की चनु ावी प्रलक्रया में एक नया अध्याय जड़ु ा है जो लचतं ाजनक और
मााँगा। इस बात का सबतू है आतक लचंतन योवय है।
ं (मािेगााँव बम ब्िास्ट) के आरोप में जेि जा चक
ु ी प्रज्ञा
ठाकुर को लदलववजय लसंह के लखिाफ़ भोपाि में खड़ा करना। प्रज्ञा ठाकुर ने गांिी जी के
हत्यारे नाथरू ाम गोर्से को देशभि कहा लजससे देश में गांिी को चाहने वािे िोग बेहद
आहत हुए। यहााँ तक लक भाजपा को भी प्रज्ञा ठाकुर का खंर्न करना पड़ा िेलकन उनके ऐसा
बोिने और मानने से चनु ावी नतीजों में कोई फ़कव नहीं पड़ा और उन्होंने भारी जीत दजव की।
भाजपा ने बार-बार इस बात का ़िबू प्रचार लकया लक लवपक्ष और पालकस्तान एक तरफ़ हैं
3 जन ख़बर جن خبر िई 2019
हज़ारों साि पहिे जब मनष्ट्ु य की उत्पलत्त हुई तो उसमें और जानवरों में शारीररक संरचना के
अिावा बहुत ज़्यादा अतं र नहीं था। जानवरों की ही तरह ये भी संपणू व जीवन खाने की खोज
जन जागरण शलि संगठन करता है बाि लववाह का लवरोि
और दसू रे प्रालणयों से जीवन संघषव में ही बीता देते थे। आज के मनष्ट्ु य को यलद देखें तो ये
सोच पाना बेहद मलु श्कि िगता है लक ये भी कभी सच रहा होगा। तो वे क्या कारण रहे होंगे
लजनके चिते हम जानवरों से समय के साथ लबिकुि अिग हो गए। कई लवद्वान िोग
लजन्होंने इस पर शोि कायव लकया है उनका कहना है लक इसके लिए मख्ु य रूप से दो बदिाव
लज़म्मेदार हैं: पहिा कल्पना शलि का लवकास और दसू रा तकव -लवतकव कर पाना। यही मख्ु य
रूप से दो कारण हैं लजनके चिते मनष्ट्ु य प्रकृ लत में एक अिग स्थान बना पाया। आगे चिकर
इन्हीं दो कारकों ने समाज में लशक्षा की नींव रखी। मगर क्या आिलु नक स्कूिी लशक्षा इन
कारकों पर खरी उतरती है? क्या ये हमें एक जागरूक और आज़ाद सोच का इसं ान बनने में
मदद करती है? यलद एक बड़े भभू ाग पर देखें तो जवाब नहीं में ही लदखता है। हम अपने
आसपास के स्कूिों में देख सकते हैं या बच्चों से बात करके पता कर सकते हैं की उन्हें
लकताबी ज्ञान के अिावा लकतना पता है।
हम पढ़ेंगे साथी !!
आिलु नक लशक्षा की खोज मख्ु य रूप से आज के जमवनी (यरू ोप का एक देश) में हुई जो
िै िती हुई अग्रं ज़े ों के शासन द्वारा परू ी दलु नया में िै ि गई। इस लशक्षा का मख्ु य उद्देश्य समाज
के िोगों को आज्ञाकारी नागररक बनाना था और इस तरह का अनुशासन लसखाना था लजसमें
वे कोई सवाि न पछ ू ें और बस हााँ में हााँ लमिाते रहें। मगर क्या सवाि न पछ ू ना हमें इसं ान
बनाता है या जानवर? एक समय की बात है। एक राजा था लजसे के वि अपनी तारीफ़ सनु नी
पसंद थी। अपने ल़ििाफ़ तो वह एक शब्द भी नहीं सनु पाता था। उसके मंत्री और जनता
उससे र्रकर रहती थी। एक बार वहााँ एक कपड़े बेचने वािा आया। उसने एक ़िास पोशाक
राजा को लदखाई और कहा इसे वही देख सके गा जो समझदार है और राजा का वफ़ादार है।
लिर क्या था। राजा वो पोशाक पहन के लनकि गया और सबसे पछ ू ता पोशाक कै सी है तो
सभी र्रकर बोि देते बहुत संदु र। राजा भी ़िश ु ी से िूिा नहीं समाता। मगर लकसी को ये
बोिने की लहम्मत नहीं होती लक राजा ने कुछ भी नहीं पहन रखा है। तभी एक बच्चा अचानक
आता है और बोिता है “देखो देखो हमारा राजा नंगा”। हमारी लशक्षा हमें ऐसी ही जनता
बनाना चाहती है।
लकसी भी देश की सत्ता यही चाहती है लक उसके िोग गित बात पर सवाि न पछ ू ें और
उसके ल़ििाफ़ नहीं बोिें। इसके दो नक़ ु सान होते हैं : पहिा हम कल्पना करना या सोचना
बंद कर देते हैं दसू रा सही गित में अतं र करना छोड़ देते हैं। इसके कारण समाज की मानलसक
प्रगलत रुक जाती है और ऐसा समाज गि ु ाम बना लिया जाता है। लकसी भी समाज में ऐसी
लशक्षा लबिकुि नक़ ु सानदायक है। इसीलिए लशक्षा प्रणािी की पहिी ज़रूरत है लक वो
लवद्यालथवयों में सोचने-समझने और सवाि पछ ू ने की क्षमता को बढ़ाए लजसकी शरुु आत अपने
आसपास की घटनाओ,ं समस्याओ ं को जानने और जागरूक नागररक बनने से होती है।
मोसमात बलु िया लशक्षा लनमावण संगठन ऐसी ही एक लशक्षा व्यवस्था की ओर क़दम का नाम
है। वत्तवमान में इसके सेंटर पर कुछ बच्चे रहकर स्कूिी लशक्षा के साथ-साथ सामालजक लशक्षा
और अनश ु ासन का पाठ भी सीखते हैं। अ़िबार के अगिे अक ं में लशक्षा के इसी प्रयोग पर
और बात होगी।
-अवभमन्यु द्वारा वलखा गया
जागरूक होना, सगं लठत होना और सघं षव सिाहकार कामायनी स्वामी द्वारा सगं ठन की भेदभाव पर अपनी बात रखी। यवु ाओ ं ने इस सत्र मसु िमान सालथयों के घरों में खाना खाया और
करना। और इस संघषव को सिि बनाने के लिए इतने सािों की यात्रा बताकर हुई। में अपने जालत भेदभाव से जड़ु े अनभु वों को साझा लहन्द-ू मस्ु िमान के बीच भेदभाव के बारे में चचाव
ज़रूरी है सामालजक समस्याएाँ जैसे जालत, लिंग, कें द्र पर चिने वािी कायवशािाओ ं की एक ़िास लकया। इस सत्र में हुई चचावओ ं और स्वयं के की ।
िमव या अन्य लकसी व्यवस्था को जड़ से समझना बात रहती है लक प्रलतभागी स्वयं अपने लिए अनभु वों को आिार मानते हुए यवु ाओ ं को मेस्तर
और लिर इन जड़ों पर परु ज़ोर प्रहार करना। लदल्िी से आए शलि और
लनयम बनाते हैं लजनका पािन उन्हें कायवशािा के कॉिोनी में भेजा गया जहााँ उन्होंने जालत से जड़ु े
इसीलिए बाबासाहेब अम्बेर्कर का कहना था सरू ज ने यवु ाओ ं को फ़ोटोग्राफ़ी के बारे में
दौरान करना अलनवायव होता है। इसी परंपरा का भेदभाव के बारे में िोगों से सवाि पछ ू े । यहााँ
‘लशलक्षत हो, संगलठत हो और संघषव करो’। जानकारी दी और सही तरीक़े से फ़ोटो िेना
पािन करते हुए यवु ाओ ं ने भी ़िदु कुछ लनयम उन्होंने मेस्तर समाज के िोगों से समझा लक लकस
लसखाया। यवु ाओ ं को इस सत्र में जान पाए लक
इन्हीं बातों से प्रेरणा िेकर जन जागरण शलि बनाए लजनका उन्होंने अगिे एक महीने तक प्रकार उन्हें जालत के नाम पर भेदभाव सहना
पड़ता है। यहााँ उन्होंने बच्चों को खेि लखिाए, आल़िर फ़ोटो खीचने का महत्त्व क्या है।
सगं ठन ने सामालजक समस्याओ ं की जड़ों को पािन करने का परू ा प्रयास लकया।
खाना मााँगकर खाया और अपनी लज़ंदगी में कायवशािा के माध्यम से सारे यवु ा एक
सही पहचानने के लिए िोगों के साथ लनमावण मध्य प्रदेश से आए अलमत भाई द्वारा 3 लदन के छुआछूत रूपी बरु ाई के लनयम को तोड़ा। जालत के अन्तरावष्ट्रीय यात्रा पर भी गए। हमारे पड़ोसी
कायव की शरुु आत की और उसके लिए मोसमात सत्र में पृ्वी की उत्पलत्त, मानव सभ्यता का आिार पर लकए जाने वािे भेदभाव के बाद देश नेपाि में लस्थत िरान नामक जगह में
बलु िया लशक्षा लनमावण सगं ठन का साथ लिया। लवकास और वैज्ञालनक सोच पर गहन चचाव हुई। यवु ाओ ं के साथ लिंग आिाररत भेदभाव पर यवु ाओ ं ने एक लदन लबताया और वहााँ की
इस सत्र का उद्देश्य यह समझना था लक समाज में चचाव हुई। ये सत्र कामायनी, शोलहनी, तन्मय और संस्कृ लत के बारे में जाना। कायवशािा के अतं में
लकस तरह समय के साथ पररवतवन हुआ और नई अलभमन्यु द्वारा लिया गया और यवु ाओ ं ने यह यवु ाओ ं को सलटवलफ़के ट बााँटकर इस आशा के
व्यवस्थाएाँ जर्ु ती रहीं। यवु ाओ ं को यह जानकर जाना लक कै से अिग-अिग तरीक़ों जैसे साथ लवदा लकया गया लक वे समाज के एक
आश्चयव हुआ लक यह बदिाव लकसी दैलवक पहनावा, बाि, काम, स्वभाव आलद से िड़की लज़म्मेदार नागररक बनेंगे और सामालजक
शलि का काम नहीं बलल्क ़िदु मनष्ट्ु य द्वारा लकए और िड़का के बीच अतं र लकया जाता है और समस्याओ ं के ल़ििाफ़ संघषव करें गे।
गए हैं। इससे यह समझने में आसानी हुई लक िमव इन चीज़ों के आिार पर समाज में िड़का-िड़की
के आिार पर लकस प्रकार झठू और की भलू मका तय होती है । इसके अिावा खेि के -अवभमन्यु द्वारा वलखा गया
अिं लवश्वास िै िाया जाता रहा है। कायवशािा में माध्यम से ये भी समझा की घरे िू काम के
अिग-अिग माध्यमों से यवु ाओ ं का असमान बाँटवारे के चिते कै से एक मलहिा को
5 जन ख़बर جن خبر िई 2019
युवा कायाशाला की कुछ और तसवीरें...
कल, आज और कल
िज़दूरों के िसीहा: दीना-भदरी
हमारे नानी के नानी के नानी के नानी से भी पहिे के ज़माने की कहानी है। यलद लहन्दू िमव के लहसाब से देखें तो ‘द्वापर यगु ’
यानी क़रीब 8 िाख साि पहिे। वैसे तो लवज्ञान के लहसाब से िरती पर इसं ान की उत्पलत्त के वि 2 िाख साि पहिे ही हुई
है पर कहते हैं ना प्यार में और कहानी में कुछ भी संभव है। चलिए कुछ देर के लिए मान लिया जाए लक ऐसा ही हुआ था।
इस कहानी के अनसु ार 8 िाख साि पहिे दीना-भदरी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी परू ी लज़ंदगी ज़मींदारों का लवनाश
सीखेंगे! लसखाएाँगे!!
करने और मज़दरू ों को आज़ादी लदिाने में िगा दी थी। दीना-भदरी कोई बड़का ब्राह्मण या राजपतू का भगवान नहीं हैं बलल्क
ये तो हमारे गााँव-देहात में गरीब दलितों के भगवान हैं। इसलिए इनका लज़क्र वेदों या शास्त्रों में आपको नहीं लमिेगा। गााँव में
ही हमारे बीच के साथी - भगत, कलव और गायकों के गीतों में और कथाओ ं में इनकी झिक ज़रूर लमिती है। इन कथाओ ं
को मानो तो सच है और नहीं मानो तो मात्र कहानी है। िेलकन कहानी हो या सच, इन कथाओ ं को जानना हम सब के लिए
ज़रूरी है क्योंलक इन कहालनयों से भी कुछ सीखने को लमिता है। चलिए आईए देखते हैं दीना-भदरी की कहानी में आगे क्या
होता है।
कहानी कुछ ऐसी है लक लनरसो और कािू सरदार नाम की एक पत्नी-पलत की जोड़ी थी। ऋलषदेव समदु ाय के कािू और
लनरसो जोलगयानगर राज्य में रहते थे जो आज के समय में नेपाि देश में पड़ता है। उनकी शादी को बहुत साि हो चक ु े थे पर
उनको कोई सतं ान नहीं हो रहा था। जब वे गगं ाजी में र्ूबकी िगाकर पजू ा करने गए तो गगं ा मैया ने उन्हें बताया लक तीरथ
जाकर पजू ा करने से नहीं बलल्क अपने घर पर रहकर ही अच्छी सोच और अच्छे काम करने से उन्हें अच्छा िि लमिेगा।
उन्होंने ऐसा ही लकया। अब कलहए गंगाजी का आशीवावद हो या उनके अच्छे कमों का िि या लिर प्रकृ लत की देन, पर उनके
घर में आल़िरकार जड़ु वा बच्चे पैदा हुए। बड़े का नाम रखा लदना और छोटे का भदरी। दोनों भाई िीरे -िीरे बड़े होने िगे।
एक बार छुटपन में जोलगया नगर के काबलु िया राजा के छि-कपट से हो या खेि-कूद के अलमत भाई के सत्र के दौरान
दौरान दोनों भाई एक गहरे गर््ढे में लगर गए। तब एक मसु िमान पहिवान तालहर कुजरा और उनकी बहन िे कनी ने अपने
घर का दिू लपिाकर उन्हें लज़ंदा रखा। कहा जाता है लक शायद तालहर कुजरा के दिू का ही असर था लजससे बद्री को इतनी
ताक़त और दीना को इतनी बलु ि लमिी।
लनरसो मााँ और कािो बाबा की परवररश भी क़ालबि-ए-तारीफ़ थी। िोग कहते हैं लक ऋलषदेव मोहल्िों में पढ़ने-लिखने का
प्रचिन नहीं था पर उन्होंने दोनों बच्चों को दसू रों के घर रखकर पढ़ाया लिखाया। साथ ही तीर-िनुष चिाना लसखाया जब
लक कहा जाता है लक अस्त्र का ज्ञान लसफ़व राजपतू को िेने का अलिकार है। या लिर शायद उन लदनों में दलितों के पास भी
अस्त्र-शस्त्र की लशक्षा का अलिकार हुआ करता था जो बाद में उन से छीन लिया गया।
लजन समदु ायों को आज हम ‘दलित’ और ‘छोटका’ कहते हैं वे एक समय में राजा भी हुआ करते थे इसके भी इलतहास में
कई उदहारण हैं। इस कथा में भी मोरांग राज में पाचनू ाथ र्ोम एवं उनके भाई छे चन–पोछन काफ़ी ताक़तवर िोग थे। पासवानों
के कुिदेवता मोरंग के सिहेस महाराज दलित जालत से होकर भी चौकीदार के पद से शरू ु कर ़िदु राजा बने थे। यानी इन बच्चों की टोिी आई है! नई रोशनी िाई है!!
सब जालतयों के िोगों के पास भी ज़मीन, जायदाद और सत्ता हुआ करता थी। िेलकन आज उसी समाज के िोग भलू महीन हैं
या ज़मींदारों द्वारा रै यत में बसाए गए हैं। पर सोचने की बात यह है लक आल़िर क्या हुआ इन सब के िन दौित को? लकसने
इन समाजों से इनका सब कुछ छीन लिया?
अब वापस आते हैं दीना-भदरी पर। अपनी लशक्षा ़ित्म करने के बाद दोनों भाई दलु नया देखने लनकि पड़े। कभी बेिा पहाड़
पर ध्यान में बैठ जाते तो कभी संन्यासी बनकर के न्होिी नगर में तो कभी मघा मंगु ेर में घमु ा करते थे। घर–घर जाकर खाना
मााँग लिया करते थे और इसी तरह गज़ु ारा चिता था। घमू ते-घमू ते जहााँ इन्हें लदखता की कोई राजा अपने प्रजा का शोषण
कर रहा है या कोई मज़दरू ों पर अत्याचार कर रहा है वहााँ वे उस राजा या मालिक से लभड़ जाते थे और बि और बलु ि से
उन्हें हरा देते थे। मगर इन सबके बावजदू भी ़िदु कभी राजा नहीं बनते थे। उल्टा वहााँ की गरीब जनता को आज़ाद कर अगिे
लठकाने की ओर लनकि पड़ते थे।
जोरावर राजा, िलमया राजा जैसों को हराने के तो कई सारे लक़स्से दीना-भदरी के काफ़ी मशहूर हैं। सनु ने में आता है लक वे
िोगों को ठगने वािे ओझा–गलु णयों के ल़ििाि भी िड़ते थे। िेलकन बड़े अफ़सोस की बात है लक दीना और भदरी को
पजू ने वािे आज भी अलशक्षा, अिं लवश्वास और शोषण के जाि में िाँ से हैं। ज़मींदारी प्रथा आज भी क़ायम है।
नालसर भाई के साथ िमव आिाररत भेदभाव पर चचाव करते हुए
हमारे नोट पर, वोट पर, थाना-कोटव पर उन्हीं बड़का जालत के ज़मींदारों का और उनके बेटों का राज है। दीना-भदरी ने तो
पढ़ना-लिखना भी सीखा, कुश्ती-कसरत-खान-पान से अपने शरीर को भी बनाया। यहााँ तक की हाथ में तीर-िनषु भी उठाया
तालक अत्याचारी ज़मींदारों को और ज़मींदारी प्रथा को ़ित्म कर सकें । उन्होंने यह सब इसलिए लकया तालक मज़दरू ों का राज
हो। पर दीना-भदरी को मानने वािे आज बस आाँखें माँदू के पूजा-पाठ, मेिा-खेिा, भजन-कीतवन में िगे हुए हैं। इन दो
क्रांलतकारी भाइयों की के वि मलू तव लबठाकर इन्हें भगवान बनाकर रख लदया हैं। आल़िर कब तक हम इस कियगु में दीना-
भदरी के आने का इतं ज़ार करते रहेंगे? शायद अब वक़्त आ गया है लक घर-घर में दीना-भदरी पिे। दलु नया के सारे दबे-कुचिे
मज़दरू लशलक्षत और संगलठत होकर ज़मींदारी प्रथा का जड़ से ़िात्मा कर दें।
-शोवहनी द्वारा वलखा गया
(इस लेख की प्रेरणा, जानकारी और सहायता के वलए हम प्रभावतनगर – नरपतगंज के चन्दन भगत, रामघाट पंचायत के
सगं ठन के सभी साथी एिं सगं ठन के सवचि वशिनारायण के ख़ास आभारी हैं।)
6 जन ख़बर جن خبر िई 2019
सीलमत और लनजी लवतरण के लिए जन जागरण शलि संगठन के महासलचव रंजीत पासवान की ओर से प्रकालशत । संपकव : बैजनाथपरु , वार्व नंबर 6, अरररया आर.एस. ।
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