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वर्ष: 2 अंक: 2 अरररया (कबहार) िई 2019 सहयोग राकश: 5/-

सपं ादक की क़िम से आवास की ककश्त नहीं किलने पर जब लोगों ने ककया


सालथयों! जन ़िबर का दसू रा अक ं आप के
हाथों में है। बहुत समय से यह प्रयास चि सत्याग्रह तो किला तानाशाही जवाब
रहा है लक जन जागरण शलि संगठन का
अपना अ़िबार हो लजसमें संगठन के
लवलभन्न इिाकों में चि रहे मज़दरू सालथयों
के संघषों की खबरें छपें। कोलशश है लक
अ़िबार में ़िदु संगठन के सालथयों द्वारा
लिखे गए िेख प्रकालशत हों और साथ ही
देश-लवदेश में मज़दरू ों द्वारा िड़ी जा रही
िड़ाइयों की कहालनयााँ आप तक पहुचाँ े
तालक हम सभी उनसे प्रेरणा िे सकें और
बराबरी के समाज को स्थालपत करने के इस
संघषव में एकजटु ता बन सके । चाँलू क यह
पहिा संकिन है, बहुत सी चीज़ें हैं लजन्हें
सपं ादक समहू परू ा नहीं कर पाया है। उम्मीद
है जैसे-जैसे अगिे सक ं िन प्रकालशत होंगे,
हम अ़िबार में और चीज़ें जोड़ते जाएाँगे।
अरररया नगर पररषद् में ‘सबके लिए आवास’ के वार्व पाषवद और जन जागरण शलि संगठन के महासलचव रणजीत पासवान ने कहा लक नगर पररषद्
आपने देखा होगा लक अ़िबार का नाम
योजना के तहत सैकड़ों िाभुको को लकश्त का कायाविय की देरी के चिते उनके वार्व में आवास की भीषण समस्या बनी हुई है। उन्होंने कहा लक
फ़ारसी लिलप में भी लदया गया, हमारी भगु तान लकसी न लकसी बहाने नहीं लकया जा रहा अफ़सर मनमानी कर रहे हैं और कह रहे हैं लक गर््ढा नहीं लकया गया है। जबलक सच यह है लक गर््ढा
कोलशश है लक हम उदवू में लिखे िेख भी था। आज से छ: माह पवू व िाभक ु ों को वकव आर्वर लकया गया और पााँच महीने इतं ज़ार करने के बाद, गर््ढा में पानी भरने की समस्या के कारण कुछ
अ़िबार में शालमि करें । सालथयों, आप को लदया गया और नींव खोदने के बाद उनका लजयोटैग िोगों ने गर््ढा भर भी लदया लिर भी अलिकतर िोगों ने गर््ढा लकया है। उन्होंने कहा लक कायाविय
यह याद लदिा दें लक इस सक ं िन को आप भी लकया गया पर उसके बाद भी उनको पहिी को कई बार आवेदन लदया गया है पर कोई सनु वाई नहीं हुई है। अगर गर््ढा नहीं था तो लजयोटैग कै से
तक पहुचाँ ाने में सगं ठन से जड़ु े बहुत से लकश्त का भगु तान नहीं लकया गया। इस समस्या को हुआ? सात्याग्रह में शालमि कई मलहिाओ ं ने अपनी परे शानी को रखा था।
सालथयों की मेहनत िगी है और उन सभी िेकर जन जागरण शलि संगठन के बैनर तिे नगर सत्याग्रलहयों से लमिने कायवपािक पदालिकारी श्री दीनानाथ आये और उन्होंने कहा लक लसफ़व तीन
पररषद् कायाविय पर 7 मई को एक लदवसीय िोगों का ही गर््ढा है। यह सनु कर िोगों ने उनसे सवाि जवाब लकया तो वह उठकर चिे गए। जन
के हम बहुत आभारी हैं।
सत्याग्रह का आयोजन हुआ था। साथ ही जागरण शलि संगठन की कामायनी स्वामी ने जब उनसे सवाि लकया लक आप उन िोगों का लिस्ट
उम्मीद है आपको यह संकिन पसंद सामालजक सरु क्षा पेंशन, लबजिी की व्यवस्था, दे दीलजये लजन्होंने गर््ढा नहीं लकया है तो उनके पास कोई जवाब नहीं लमिा।
आएगा। अगर आपके कोई सवाि या शौचािय की रक़म, वार्व में साफ़-सफ़ाई इत्यालद
मााँगों को िेकर एक मागं पत्र कायवपािक िोगों की समस्याएाँ सि
ु झाना तो दरू , प्रशासन ने उल्टा शांलतपणू व सत्याग्रह कर रहे िोगों पर दगं ा कराने,
सझु ाव हों, या लिर कोई लटपण्णी, तो आप भड़काने और उकसाने जैसे झठू े आरोप िगाए। कड़ी िपू में िोगों ने जब नगर पररषद की नाकामी के
साथी कल्याणी को इस नंबर पर संपकव कर पदालिकारी, नगर पररषद् अरररया को सौंपा गया
था। ल़ििाफ़ आवाज उठाई तो प्रशासन ने पलु िस को आगे कर लदया। अपनी कमी को छुपाकर, न्याय मााँग
सकते हैं – 9711888155 रहे िोगों की आवाज़ को दबाना की कोलशश में, प्रशासन ने कामायनी स्वामी और रंजीत पासवान पर
िोगों में इस बात का बहुत गस्ु सा था लक वकव आर्वर झठी िारा िगाकर प्राथलमकी दजव करा दी। यह कोई अनोखी बात नहीं थी। अक्सर यही देखा जाता है
इक़
ं िाब लज़ंदाबाद! ू
के बाद उनसे नींव भी खदु वाई गई , लजयोटैग के लक जब भी मज़दर–गरीब अपने हक़ों के लिए अपना आंदोिन बि ु ंद करते हैं, राजकीय ताक़तें उन पर

नोट – संस्करण में छपे विचार लेखकों के नाम पर कमवचारी ने घसू भी लिया, फ़ोटो उतारा क्रूरतापणू व प्रहार करती हैं।
वनजी विचार हैं। गया पर पैसे का भगु तान नहीं हुआ था। वार्व न० 6

वैशाली के सघं र्षरत साकियों ने खुलवाया सड़क का काि


वैशाली से अजय सहनी
वैशािी लजिा के पातेपरु प्रखंर् के राघोपरु नरसंर्ा पचं ायत में के लिए संघषव कर रहे हैं। िगातार एक साि से प्रखंर् से िेकर जनता के लहत में बोि रहे सालथयों के ल़ििाफ़ प्राथलमकी दजव कर
1984 में एक सड़क बनाने हेतु बड़े-बड़े पत्थर लगराए गए थे। परन्तु राज्य स्तर के प्रिान सलचव तक को आवेदन दे चक ु े हैं और यह दी। िेलकन लनरंतर दबाव बनाने का नतीजा यह लनकिा लक सड़क
चाँलू क हमारे देश में लकसी भी कायव को सिितापवू वक अजं ाम तक मााँग कर रहे हैं लक सड़क तरु ं त बनवाई जाए। लसफ़व आवेदन देने तक बनवाने की प्रलक्रया अभी शरुु की गई है। क़रीब 2 करोड़ रुपये की
पहुचाँ ाने में वषों बीत जाते हैं, तो िीरे -िीरे जो पत्थर लगराए गए थे ही संघषव सीलमत नहीं रहा बलल्क संगठन के सैंकड़ो सालथयों ने िागत से सड़क बनना शरू ु हुआ है। इस बार यह लिर सालबत हो
वे गायब हो गए और सड़क नहीं बन पाई। पातेपरु के जन जागरण वैशािी लजिा के लवकास पदालिकारी कायाविय के सामने 5 लदनों गया लक दलित-मज़दरू -गरीब जब तक संगलठत होकर अपनी
शलि सगं ठन के साथी क़रीब एक साि से इस सड़क को बनवाने तक िरना-प्रदशवन लकया। हर बार की तरह, इस बार भी प्रशासन ने आवाज़ बि ु दं नहीं करें गे, उनके लहस्से में कुछ नहीं आएगा।
2 जन ख़बर ‫جن خبر‬ िई 2019

क्या कहते हैं लोक सभा चुनाव के नतीजे


-आशीष रंजन
छिे 23 मई को 2019 के चनु ाव का नतीजा आया। चनु ाव 542 सीटों पर िड़ा गया। इस चनु ाव और भाजपा दसू री तरफ़। पालकस्तान का हौवा खड़ा कर जनता के अदं र भय और एक ़िास
लप में भाजपा को 303 सीटें आई,ं उनके सहयोदी दि को 50 सीटें यानी कुि लमिाकर भाजपा और
सहयोगी दिों को 353 सीटें लमिीं। कांग्रसे को 52 और इसके सहयोगी दिों को लमिाकर कुि
क़ौम के लिए नफ़रत पैदा की गई और लहन्दओु ं को भाजपा के पीछे गोिबंद लकया गया।

91 सीटें ही जीत सकीं। अन्य सभी दिों को लमिाकर 98 सीटें प्राप्त हुई ं। अगर वोट प्रलतशत को देखें 2. राष्ट्रिाद और पल ु िामा - पि
ु वामा की दभु ाववयपणू व घटना चनु ाव से कुछ ही लदन पहिे हुई थी
तो भाजपा को 37.4 प्रलतशत वोट आया यानी हर एक सौ वोट में से करीब 38 वोट भाजपा को गए इसलिए इसका असर काफ़ी रहा। टी.वी. और अन्य माध्यमों से गााँव-गााँव तक िोगों को
और कांग्रसे को 19.5 प्रलतशत वोट आया यानी हर एक सौ वोट में से करीब 20 वोट कांग्रसे को इसके बारे में पता था। पि ु वामा में हमारे क़रीब 50 सैलनक शहीद हुए। इसके बाद भारतीय
लमिा। सेना ने पालकस्तान की सरहद के अदं र बमबारी की लजसे “सलजवकि स्राइक” कहा गया।
भाजपा ने जनता के गस्ु से और मनःलस्थलत का फ़ायदा उठाते हुए िोगों को इस बात का
भरोसा लदिाया लक मोदी ही पालकस्तान को मज़ा चखा सकते हैं और उसने सलजवकि स्राइक
कर के लदखा भी लदया। भारतीय सेना को ‘मोदी की सेना’ जैसे आपलत्तजनक शब्दों से
सबं ोलित कर मोदी की छलव को देश की सेना के सहारे मज़बतू लकया गया और चनु ाव में
इसका ़िबू इस्तेमाि हुआ। राष्ट्र को बचाना है तो मोदी को वोट करो वािी रणनीलत भी
़िबू काम आई। इस परू े शोर में लवपक्ष इस सवाि को उठाने में नाकामयाब रहा लक आल़िर
इतने सैलनक क्यों मरें ? अगर मज़बतू सरकार थी तो सैलनकों की जान कै से चिी गई? क्या
कोई िापरवाही हुई या जाससू ी तंत्र की कमी थी लजसकी वजह से यह हुआ? लवपक्ष यह भी
िोगों को नहीं समझा सकी लक भाजपा के शासन में ज़्यादा सैलनक मारे गए हैं। अगर सरकार
मज़बतू है तो ऐसा कै से हुआ? टी.वी. चैनिों ने भी मोदी की छलव को चमकाया लजसका
भरपरू असर हुआ।
3. मज़बतू विपक्ष का अभाि - इस चनु ाव में लवपक्षी एकता ढुिमि ु लदखी। जहााँ लवपक्ष एकजटु
भी हुआ तो देरी से। इस कारण िोगों के सामने एक मज़बतू लवकल्प नहीं लदखा। उत्तर प्रदेश
में सपा और बसपा एक साथ आए भी तो उसमें काफ़ी देरी हुई। कांग्रसे यहााँ अिग िड़ रही
थी। उसी तरह लबहार में भी परू ा लवपक्ष एक साथ नहीं था। महाराष्ट्र में प्रकाश अम्बेर्कर की
नई पाटी, काग्रं ेस और एन.सी.पी का गठबिं न साथ नहीं था।
4. प्रचार-प्रसार-पैसा-संगठन - चनु ाव में पैसा पानी की तरह बहाया गया। भाजपा ने सबसे
अलिक पैसा ़िचव लकया। लदल्िी के एक प्रलतलित संस्था के आंकिन के अनसु ार 2019 के
चनु ाव में क़रीब 60 हज़ार करोड़ रुपये ़िचव लकए गए उसमें से क़रीब आिा (30 हज़ार
करोड़) भाजपा और सहयोगी दिों ने लकया और क़रीब 12 हज़ार करोड़ कांग्रसे एवं उनके
लबहार की बात करें तो लबहार में 40 में से 39 सीट भाजपा और उनके सहयोगी दि (जदयू एवं िोजपा) सहयोगी दिों ने लकया। प्रचार-प्रसार में भी भाजपा बहुत आगे लदखी। ज़्यादातर टी.वी. चैनि
के खाते में गई। भाजपा, जदयू एवं िोजपा को लमिाकर 53.25 प्रलतशत वोट आया, और राजद और भाजपा और मोदी का गणु गान करते थक नहीं रहे थे। व्हाट्सऐप और फ़े सबक ु पर भी भाजपा
कांग्रसे को लमिाकर क़रीब 23 प्रलतशत वोट आया। अरररया में भाजपा को क़रीब 53 प्रलतशत और छाई रही।
राजद को 41 प्रलतशत, कलटहार में जदयू को 50 प्रलतशत और काग्रं से को 45 प्रलतशत, मिेपरु ा में 5. टॉयलेट – गैस – मकान - खाते में पैसा और योजनाओ ं का प्रचार-प्रसार - भाजपा ने अपने
जदयू को 54 प्रलतशत और राजद को 28 प्रलतशत और उलजयारपरु में भाजपा 57 प्रलतशत और द्वारा चिाई गई योजनाओ ं का ़िबू प्रसार-प्रचार लकया और इसका फ़ायेदा उन्हें लमिा। बड़े
रािोसपा को 28 प्रलतशत वोट आया। पैमाने पर टॉयिेट का पैसा िोगों को लमिा और कुछ राज्यों में लकसानों को भी 2000 रु
इनके खाते में लमिा। मलहिाओ ं को गैस कनेक्शन देना और आवास योजना में रक़म की
ज़ालहर है भाजपा को भारी जीत लमिी है। िोग इस नतीजे की उम्मीद नहीं कर रहे थे। लकसी को भी वृलि भी उनके लिए अच्छा रहा।
लकसी एक पाटी के लिए कोई “हवा” चिती नहीं लदख रही थी। नतीजा चौकाने वािा इसलिए भी था 6. मोदी - बनाम राहुल - भाजपा ने कई सािों के अथक प्रयास से राहुि गााँिी की छलव को
क्योंलक कुछ माह पहिे ही राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश के नतीजे आये थे लजसमें कांग्रसे ने बबावद करने की कोलशश की है। दसू री तरफ़ मोदी की छलव एक मज़बतू नेता की बनाई गई
भाजपा को पछाड़ा था। और भी चीज़ें थीं जैसे लक भारत की आलथवक लवकास की दर सस्ु त हो गई थी है। राहुि बनाम मोदी में मोदी बहुत आगे लदखे। इस चनु ाव में जो िोग भाजपा से असंतष्टु थे
और 45 सािों में पहिी बार इतनी बेरोज़गारी थी। नोटबंदी पर तमाम जानकार िोगों का मानना था उन्हें यह कहा जा रहा था लक अगर मोदी नहीं तो कौन। लवपक्ष जवाब में खि ु कर राहुि गााँिी
लक इससे नुक़सान हुआ- िोगों की नौकररयााँ चिी गई और अथवव्यवस्था िड़खड़ा गई । इसके अिावा का नाम नहीं िे पा रहा था क्योंलक लवपक्ष में कौन अगिा प्रिानमंत्री होगा उसपर सहमलत
भाजपा ने 2014 में जो वायदे लकये थे (15 िाख का वायदा, 2 करोड़ नौकररयों का वायदा, कािा नहीं थी।
िन िाने का वायदा) उन वायदों को सरकार परू ा नहीं कर पाई थी। इसलिए िोग समझ नहीं पा रहे हैं
लक इतनी सीटों पर जीत कै से लमिी। हािााँलक यहााँ यह भी ध्यान रखना होगा लक इतनी बड़ी जीत के इन प्रमख ु कारणों के अिावा क्षेत्रीय स्तर पर अिग-अिग कारण भी थे जैसे लक लबहार में राजद और
बाद भी हर 100 वोट में से 55 वोट मोदी और भाजपा के ल़ििाफ़ लदया गया है । काग्रं से को यादव - मसु िमान की पाटी मान लिया गया और बाक़ी जालत दसू री तरफ़ गोिबदं हुई।
िेलकन यह बात साफ़ है लक भाजपा ने ़िदु भी ‘लवकास’ को मुख्य मद्दु ा न बनाकर लहन्दू - राष्ट्रवाद
सभी जानना चाहते हैं लक कारण क्या था? अगर ये मान लिया जाए लक चनु ावी प्रलक्रया में कोई िांििी और पालकस्तान को ही मख्ु य मुद्दा बनाया। इसके जवाब में लवपक्ष ़िासकर कांग्रसे पाटी बेरोज़गारी
नहीं हुई है तो लिर मेरी समझ से भाजपा की जीत के लनम्न कारण थे: और लगरती अथवव्यवस्था या लिर रािे ि घोटािा को मद्दु ा नहीं बना सकी। कांग्रसे ने जो अपनी तरफ़
से संकल्प पत्र जारी लकया था लजसमें 5 करोड़ गरीब पररवारों को सािाना 72 हज़ार रु. देने की बात
1. वहदं त्ु ि का एजेंडा और पावकस्तान का हौिा - िमव का गित इस्तेमाि कर और लहन्द-ू कही गई थी मगर यह संदश े पाटी जनता तक नहीं पहुचाँ ा पाई। कुि लमिाकर यह लनष्ट्कषव लनकािा जा
मसु िमान-पालकस्तान वािी नफ़रत की राजनीलत कर एक बार लिर भाजपा ने परू े देश में वोट सकता है लक भारतीय िोकतत्रं की चनु ावी प्रलक्रया में एक नया अध्याय जड़ु ा है जो लचतं ाजनक और
मााँगा। इस बात का सबतू है आतक लचंतन योवय है।
ं (मािेगााँव बम ब्िास्ट) के आरोप में जेि जा चक
ु ी प्रज्ञा
ठाकुर को लदलववजय लसंह के लखिाफ़ भोपाि में खड़ा करना। प्रज्ञा ठाकुर ने गांिी जी के
हत्यारे नाथरू ाम गोर्से को देशभि कहा लजससे देश में गांिी को चाहने वािे िोग बेहद
आहत हुए। यहााँ तक लक भाजपा को भी प्रज्ञा ठाकुर का खंर्न करना पड़ा िेलकन उनके ऐसा
बोिने और मानने से चनु ावी नतीजों में कोई फ़कव नहीं पड़ा और उन्होंने भारी जीत दजव की।
भाजपा ने बार-बार इस बात का ़िबू प्रचार लकया लक लवपक्ष और पालकस्तान एक तरफ़ हैं
3 जन ख़बर ‫جن خبر‬ िई 2019
हज़ारों साि पहिे जब मनष्ट्ु य की उत्पलत्त हुई तो उसमें और जानवरों में शारीररक संरचना के
अिावा बहुत ज़्यादा अतं र नहीं था। जानवरों की ही तरह ये भी संपणू व जीवन खाने की खोज
जन जागरण शलि संगठन करता है बाि लववाह का लवरोि
और दसू रे प्रालणयों से जीवन संघषव में ही बीता देते थे। आज के मनष्ट्ु य को यलद देखें तो ये
सोच पाना बेहद मलु श्कि िगता है लक ये भी कभी सच रहा होगा। तो वे क्या कारण रहे होंगे
लजनके चिते हम जानवरों से समय के साथ लबिकुि अिग हो गए। कई लवद्वान िोग
लजन्होंने इस पर शोि कायव लकया है उनका कहना है लक इसके लिए मख्ु य रूप से दो बदिाव
लज़म्मेदार हैं: पहिा कल्पना शलि का लवकास और दसू रा तकव -लवतकव कर पाना। यही मख्ु य
रूप से दो कारण हैं लजनके चिते मनष्ट्ु य प्रकृ लत में एक अिग स्थान बना पाया। आगे चिकर
इन्हीं दो कारकों ने समाज में लशक्षा की नींव रखी। मगर क्या आिलु नक स्कूिी लशक्षा इन
कारकों पर खरी उतरती है? क्या ये हमें एक जागरूक और आज़ाद सोच का इसं ान बनने में
मदद करती है? यलद एक बड़े भभू ाग पर देखें तो जवाब नहीं में ही लदखता है। हम अपने
आसपास के स्कूिों में देख सकते हैं या बच्चों से बात करके पता कर सकते हैं की उन्हें
लकताबी ज्ञान के अिावा लकतना पता है।

हम पढ़ेंगे साथी !!
आिलु नक लशक्षा की खोज मख्ु य रूप से आज के जमवनी (यरू ोप का एक देश) में हुई जो
िै िती हुई अग्रं ज़े ों के शासन द्वारा परू ी दलु नया में िै ि गई। इस लशक्षा का मख्ु य उद्देश्य समाज
के िोगों को आज्ञाकारी नागररक बनाना था और इस तरह का अनुशासन लसखाना था लजसमें
वे कोई सवाि न पछ ू ें और बस हााँ में हााँ लमिाते रहें। मगर क्या सवाि न पछ ू ना हमें इसं ान
बनाता है या जानवर? एक समय की बात है। एक राजा था लजसे के वि अपनी तारीफ़ सनु नी
पसंद थी। अपने ल़ििाफ़ तो वह एक शब्द भी नहीं सनु पाता था। उसके मंत्री और जनता
उससे र्रकर रहती थी। एक बार वहााँ एक कपड़े बेचने वािा आया। उसने एक ़िास पोशाक
राजा को लदखाई और कहा इसे वही देख सके गा जो समझदार है और राजा का वफ़ादार है।
लिर क्या था। राजा वो पोशाक पहन के लनकि गया और सबसे पछ ू ता पोशाक कै सी है तो
सभी र्रकर बोि देते बहुत संदु र। राजा भी ़िश ु ी से िूिा नहीं समाता। मगर लकसी को ये
बोिने की लहम्मत नहीं होती लक राजा ने कुछ भी नहीं पहन रखा है। तभी एक बच्चा अचानक
आता है और बोिता है “देखो देखो हमारा राजा नंगा”। हमारी लशक्षा हमें ऐसी ही जनता
बनाना चाहती है।
लकसी भी देश की सत्ता यही चाहती है लक उसके िोग गित बात पर सवाि न पछ ू ें और
उसके ल़ििाफ़ नहीं बोिें। इसके दो नक़ ु सान होते हैं : पहिा हम कल्पना करना या सोचना
बंद कर देते हैं दसू रा सही गित में अतं र करना छोड़ देते हैं। इसके कारण समाज की मानलसक
प्रगलत रुक जाती है और ऐसा समाज गि ु ाम बना लिया जाता है। लकसी भी समाज में ऐसी
लशक्षा लबिकुि नक़ ु सानदायक है। इसीलिए लशक्षा प्रणािी की पहिी ज़रूरत है लक वो
लवद्यालथवयों में सोचने-समझने और सवाि पछ ू ने की क्षमता को बढ़ाए लजसकी शरुु आत अपने
आसपास की घटनाओ,ं समस्याओ ं को जानने और जागरूक नागररक बनने से होती है।
मोसमात बलु िया लशक्षा लनमावण संगठन ऐसी ही एक लशक्षा व्यवस्था की ओर क़दम का नाम
है। वत्तवमान में इसके सेंटर पर कुछ बच्चे रहकर स्कूिी लशक्षा के साथ-साथ सामालजक लशक्षा
और अनश ु ासन का पाठ भी सीखते हैं। अ़िबार के अगिे अक ं में लशक्षा के इसी प्रयोग पर
और बात होगी।
-अवभमन्यु द्वारा वलखा गया

दबंग ज़िींदारों के आगे नहीं झुकाएँगे सर


लक्ष्मीपरु - कुसााकााँटा से अखिलेश
लजिा अरररया के कुसावकााँटा प्रखर्ं के िक्ष्मीपरु गााँव में अभी भी जालतगत भेदभाव देखने को लमिेगा। लकसी ़िास समदु ाय के कुछ लकसान दबगं ई करते हुए लदखेंगे। दलित मज़दरू ों को गि ु ामों की तरह
खेतों में काम करवाते हैं ये बड़े लकसान। इस पररपेक्ष्य में जब दलितों ने अपने टोिा में जाने-आने का रास्ता बनाने के लिए ज़मीन की मााँग की तो दबंग लकसानों ने साफ़ इनकार कर लदया। यहााँ तक लक उस
वक़्त मौजदू ा “एक पीलड़या” वािा रास्ता भी इन बड़े लकसानों ने बंद कर लदया। अपने पवू वजों के इस बनाए हुए रास्ते को बंद होता देख, दलित मज़दरू जो लक पासवान समदु ाय के थे आक्रोलशत हो उठे
और एकजटु होकर लिर से रास्ता खि ु वाने के लिए मागं करने ज़मींदार लकसानों के पास पहुचाँ े। ज़मींदार ने अपना वचवस्व लदखाते हुए दलितों को यह कहते हुए वापस कर लदया लक उन्होंने ज़मीन बेच दी है
और लजसने वह ज़मीन ़िरीदी है यह उसकी मज़ी है लक वह रास्ता बंद करे या खि ु ा रखे। ज़मींदारों का यह रवैय्या देखकर दलित मज़दरू ों ने आपस में एक मीलटंग कर रातो-रात सड़क बना दी। यह सभी
मज़दरू साथी जन जागरण शलि संगठन से जड़ु े हुए हैं। सबु ह होने पर जब ज़मींदारों को यह बात मािमू पड़ी तो उन्होंने पासवान बस्ती को घेर कर मलहिा, परुु ष और बच्चों के साथ मारपीट की। उसके
बाद दलित सालथयों ने ज़मींदारों पर एस.सी./एस.टी. काननू के तहत के स दजव कर लदया परंतु इस सामतं ी राज में उनकी सनु वाई या कोई उलचत कायववाही हो पाना नाममु लकन ही था। पैसे और दबगं ई के
बि पर ज़मींदारों ने के स को आगे बढ़ने नहीं लदया।
इसके बाद भी ज़मींदारों का प्रहार जारी है। सालथयों का अपने घरों से लनकिना या खेतों में जाना, ़िासकर रात में काफ़ी मलु श्कि हो गया है। ज़मींदार खि ु ेआम बोिते हैं लक “अगर कोई दसु ाद घर से
लनकिता है, चाहे मलहिा हो या परू ु ष या बच्चा सबको काटकर िें क दो। बाद में रुपया देकर ममिा समाप्त कर देंगे। “वह आय लदन नए-नए हथकंर्े अपना कर मज़दरू सालथयों पर फ़ज़ी के स दजव करते
रहते हैं और दलितों को र्रा-िमका कर रखते हैं। यहााँ तक लक अगर उस टोिा में लकसी छोटे लकसान के घर में शादी रहती है तो यह दबंग िोग उनके घर में जाकर उन्हें लकसी भी पासवान समुदाय के
िोगों को भोज पर बि ु ाने से मना करते हैं और कहते हैं लक, “दसु ाद का छुआ हुआ खाना नहीं खाएाँगे।” कुसावकााँटा के सगं ठन के स्थानीय कायवकत्ताव जयनारायण पासवान के पररवार की मलहिाओ ं के
साथ मारपीट भी हुई है। उसका भी एस.सी./एस.टी. काननू के तहत के स दजव कराया गया है, लजसमें अभी तक तो कोई सनु वाई नहीं हुई है। इन सब के बावजदू दलित-मज़दरू साथी न्याय के लिए और एक
बेहतर समाज के लनमावण हेतु संघषव कर रहे हैं ।
4 जन ख़बर ‫جن خبر‬ िई 2019
युवा कायषशाला की झलक...
हर समाज में कम या ज़्यादा समस्याएाँ तो होती ही मोसमात बलु िया लशक्षा लनमावण संगठन का मख्ु य आत्मलवश्वास बढ़ाने का प्रयास
हैं। भारत के संदभव में देखें तो गरीबी, बेरोज़गारी, उद्देश्य िोगों को सामालजक और राजनैलतक मद्दु ों लकया जाता है। प्रोजेक्ट
भ्रष्टाचार के चिते िोग अपनी मि ू भतू पर जागरूक करना है और संघषव के लिए प्रेररत पोटेंशीयि नामक एक
ज़रूरतों जैसेलक रोटी, कपड़ा, मकान, लशक्षा करना है। समय-समय पर लवलभन्न मद्दु ों जैसे लिंग, सामालजक संस्थान से आए दो
और स्वास््य को परू ा नहीं कर पाते। पर क्या जालत, िमव आलद पर कायवशािाएाँ आयोलजत की सालथयों ने यवु ाओ ं को कई
िोग नहीं चाहते लक समाज से इन समस्याओ ं को जाती हैं। इनमें प्रलतभागी अिग-अिग गााँव से प्रकार के खेि लसखाए लजनका
दरू लकया जाए? क्या वे नहीं चाहते की उनके आते हैं और एक सीलमत समय के लिए मोसमात मख्ु य उद्देश्य था खेिों के द्वारा
बच्चों को अच्छी लशक्षा लमिे, सबको स्वास््य बलु िया लशक्षा लनमावण संगठन कें द्र पर रहते हैं। यवु ाओ ं की लझझक को तोड़ना।
सेवाएाँ लमिें और एक ऐसा समाज बने जो न्याय बाक़ी खेिों की तरह इन खेिों
और समानता पर आिाररत हो? यलद हााँ तो वे यवु ाओ ं के साथ ़िासकर लपछिे 5 सािों से में हार-जीत न होकर मनोरंजन
क्यों लमिकर इन समस्याओ ं के ल़ििाफ़ आगे इटं नवलशप कायवशािा का आयोजन होता आया है और सीख मख्ु य उद्देश्य होता है
नहीं आते? इसका कारण है जालत और िमव के लजसके तहत कें द्र पर एक महीना उनके साथ तालक लखिालड़यों के अदं र एक दसू रे को लदन भर घर का काम करने के बावजदू उसके
नाम पर िोगों का बटं वारा। इन सभी के चिते समाज के ढााँचे और उससे जड़ु ी समस्याओ ं पर पछाड़कर आगे बढ़ने का नकारात्मक भाव मन में काम का श्रेय नहीं लमिता ।
िोग एकजटु नहीं हो पाते और अपनी असिी बातचीत, लफ़ल्म,फ़ोटोग्राफ़ी, इत्यालद के माध्यम न आए। यवु ाओ ं को अिग-अिग ग्रपु
ज़रूरतों को परू ा करने के लिए एक साथ आगे से चचाव होती हैं। इस बार यह कायवशािा 10 मई में बााँटकर दो टोिों में भेजा गया जहााँ इनके द्वारा नालसरुद्दीन जी के सत्र में यवु ाओ ं के साथ चचाव
नहीं आ पाते। ऐसा नहीं है लक िोग अपने-अपने से 10 जनू के बीच हुई लजसमें 28 यवु ाओ ं ने भाग वहााँ बच्चों को ये खेि लखिाए और लसखाए हुई लक
स्तर पर संघषव नहीं करते हैं। पर क्या ये बाँटा हुआ लिया। ये यवु ा चार लजिों - कलटहार, अरररया, गए। इस प्रकार संगठन में सीखने-लसखाने की कै से समाज में िोगों को िमव के आिार पर बााँट
संघषव एक बड़ा बदिाव िा सकता है? यलद एक वैशािी, सहरसा - के अिग-अिग गााँवों से प्रलक्रया लनरंतर चिती रहती है। लदया जाता है। अिग-अिग िमव मानने वािे
पेड़ को उसके स्थान से हटाना है तो क्या के वि आए थे। इटं रव्यू प्रलक्रया होने के बाद ये इस िोगों के खान-पान, रहन-सहन में अतं र होता है
उसके तने को बीच में से काट देने से काम बन कायवशािा से जड़ु े। जालत व्यवस्था पर समझ बनाने में मदद के लिए और कई बार झठू ी अफ़वाहें िै िाकर इस अतं र
जाएगा? लबिकुि नहीं। तरीक़ा है उस पेड़ को राजस्थान से भवं र मेघवश
ं ी जी आए थे। हर सत्र को बढ़ावा लदया जाता है लजससे समदु ायों के
जड़ सलहत उखाड़ देना। यही बात सामालजक कायवशािा की शरुु आत जन जागरण शलि की तरह इस सत्र की भी शरुु आत नारों और गीत बीच आपसी बैर और नफ़रत का भाव बढ़ता है।
समस्याओ ं पर भी िागू होती है। इनके ़िात्मे के संगठन के महासलचव रणजीत पासवान, सलचव से हुई। दो लदन के अपने सत्र में उन्होंने जालत इस भावना को कम करने के लिए यवु ाओ ं को
लिए ज़रूरी है समाज के एक बड़े तबक़े का लशवनारायण और आशीष रंजन, और व्यवस्था की उत्पलत्त और समाज में जालतगत मसु िमान टोिे में भेजा गया जहााँ उन्होंने

जागरूक होना, सगं लठत होना और सघं षव सिाहकार कामायनी स्वामी द्वारा सगं ठन की भेदभाव पर अपनी बात रखी। यवु ाओ ं ने इस सत्र मसु िमान सालथयों के घरों में खाना खाया और
करना। और इस संघषव को सिि बनाने के लिए इतने सािों की यात्रा बताकर हुई। में अपने जालत भेदभाव से जड़ु े अनभु वों को साझा लहन्द-ू मस्ु िमान के बीच भेदभाव के बारे में चचाव
ज़रूरी है सामालजक समस्याएाँ जैसे जालत, लिंग, कें द्र पर चिने वािी कायवशािाओ ं की एक ़िास लकया। इस सत्र में हुई चचावओ ं और स्वयं के की ।
िमव या अन्य लकसी व्यवस्था को जड़ से समझना बात रहती है लक प्रलतभागी स्वयं अपने लिए अनभु वों को आिार मानते हुए यवु ाओ ं को मेस्तर
और लिर इन जड़ों पर परु ज़ोर प्रहार करना। लदल्िी से आए शलि और
लनयम बनाते हैं लजनका पािन उन्हें कायवशािा के कॉिोनी में भेजा गया जहााँ उन्होंने जालत से जड़ु े
इसीलिए बाबासाहेब अम्बेर्कर का कहना था सरू ज ने यवु ाओ ं को फ़ोटोग्राफ़ी के बारे में
दौरान करना अलनवायव होता है। इसी परंपरा का भेदभाव के बारे में िोगों से सवाि पछ ू े । यहााँ
‘लशलक्षत हो, संगलठत हो और संघषव करो’। जानकारी दी और सही तरीक़े से फ़ोटो िेना
पािन करते हुए यवु ाओ ं ने भी ़िदु कुछ लनयम उन्होंने मेस्तर समाज के िोगों से समझा लक लकस
लसखाया। यवु ाओ ं को इस सत्र में जान पाए लक
इन्हीं बातों से प्रेरणा िेकर जन जागरण शलि बनाए लजनका उन्होंने अगिे एक महीने तक प्रकार उन्हें जालत के नाम पर भेदभाव सहना
पड़ता है। यहााँ उन्होंने बच्चों को खेि लखिाए, आल़िर फ़ोटो खीचने का महत्त्व क्या है।
सगं ठन ने सामालजक समस्याओ ं की जड़ों को पािन करने का परू ा प्रयास लकया।
खाना मााँगकर खाया और अपनी लज़ंदगी में कायवशािा के माध्यम से सारे यवु ा एक
सही पहचानने के लिए िोगों के साथ लनमावण मध्य प्रदेश से आए अलमत भाई द्वारा 3 लदन के छुआछूत रूपी बरु ाई के लनयम को तोड़ा। जालत के अन्तरावष्ट्रीय यात्रा पर भी गए। हमारे पड़ोसी
कायव की शरुु आत की और उसके लिए मोसमात सत्र में पृ्वी की उत्पलत्त, मानव सभ्यता का आिार पर लकए जाने वािे भेदभाव के बाद देश नेपाि में लस्थत िरान नामक जगह में
बलु िया लशक्षा लनमावण सगं ठन का साथ लिया। लवकास और वैज्ञालनक सोच पर गहन चचाव हुई। यवु ाओ ं के साथ लिंग आिाररत भेदभाव पर यवु ाओ ं ने एक लदन लबताया और वहााँ की
इस सत्र का उद्देश्य यह समझना था लक समाज में चचाव हुई। ये सत्र कामायनी, शोलहनी, तन्मय और संस्कृ लत के बारे में जाना। कायवशािा के अतं में
लकस तरह समय के साथ पररवतवन हुआ और नई अलभमन्यु द्वारा लिया गया और यवु ाओ ं ने यह यवु ाओ ं को सलटवलफ़के ट बााँटकर इस आशा के
व्यवस्थाएाँ जर्ु ती रहीं। यवु ाओ ं को यह जानकर जाना लक कै से अिग-अिग तरीक़ों जैसे साथ लवदा लकया गया लक वे समाज के एक
आश्चयव हुआ लक यह बदिाव लकसी दैलवक पहनावा, बाि, काम, स्वभाव आलद से िड़की लज़म्मेदार नागररक बनेंगे और सामालजक
शलि का काम नहीं बलल्क ़िदु मनष्ट्ु य द्वारा लकए और िड़का के बीच अतं र लकया जाता है और समस्याओ ं के ल़ििाफ़ संघषव करें गे।
गए हैं। इससे यह समझने में आसानी हुई लक िमव इन चीज़ों के आिार पर समाज में िड़का-िड़की
के आिार पर लकस प्रकार झठू और की भलू मका तय होती है । इसके अिावा खेि के -अवभमन्यु द्वारा वलखा गया
अिं लवश्वास िै िाया जाता रहा है। कायवशािा में माध्यम से ये भी समझा की घरे िू काम के
अिग-अिग माध्यमों से यवु ाओ ं का असमान बाँटवारे के चिते कै से एक मलहिा को
5 जन ख़बर ‫جن خبر‬ िई 2019
युवा कायाशाला की कुछ और तसवीरें...

कल, आज और कल
िज़दूरों के िसीहा: दीना-भदरी
हमारे नानी के नानी के नानी के नानी से भी पहिे के ज़माने की कहानी है। यलद लहन्दू िमव के लहसाब से देखें तो ‘द्वापर यगु ’
यानी क़रीब 8 िाख साि पहिे। वैसे तो लवज्ञान के लहसाब से िरती पर इसं ान की उत्पलत्त के वि 2 िाख साि पहिे ही हुई
है पर कहते हैं ना प्यार में और कहानी में कुछ भी संभव है। चलिए कुछ देर के लिए मान लिया जाए लक ऐसा ही हुआ था।
इस कहानी के अनसु ार 8 िाख साि पहिे दीना-भदरी का जन्म हुआ था। उन्होंने अपनी परू ी लज़ंदगी ज़मींदारों का लवनाश
सीखेंगे! लसखाएाँगे!!
करने और मज़दरू ों को आज़ादी लदिाने में िगा दी थी। दीना-भदरी कोई बड़का ब्राह्मण या राजपतू का भगवान नहीं हैं बलल्क
ये तो हमारे गााँव-देहात में गरीब दलितों के भगवान हैं। इसलिए इनका लज़क्र वेदों या शास्त्रों में आपको नहीं लमिेगा। गााँव में
ही हमारे बीच के साथी - भगत, कलव और गायकों के गीतों में और कथाओ ं में इनकी झिक ज़रूर लमिती है। इन कथाओ ं
को मानो तो सच है और नहीं मानो तो मात्र कहानी है। िेलकन कहानी हो या सच, इन कथाओ ं को जानना हम सब के लिए
ज़रूरी है क्योंलक इन कहालनयों से भी कुछ सीखने को लमिता है। चलिए आईए देखते हैं दीना-भदरी की कहानी में आगे क्या
होता है।
कहानी कुछ ऐसी है लक लनरसो और कािू सरदार नाम की एक पत्नी-पलत की जोड़ी थी। ऋलषदेव समदु ाय के कािू और
लनरसो जोलगयानगर राज्य में रहते थे जो आज के समय में नेपाि देश में पड़ता है। उनकी शादी को बहुत साि हो चक ु े थे पर
उनको कोई सतं ान नहीं हो रहा था। जब वे गगं ाजी में र्ूबकी िगाकर पजू ा करने गए तो गगं ा मैया ने उन्हें बताया लक तीरथ
जाकर पजू ा करने से नहीं बलल्क अपने घर पर रहकर ही अच्छी सोच और अच्छे काम करने से उन्हें अच्छा िि लमिेगा।
उन्होंने ऐसा ही लकया। अब कलहए गंगाजी का आशीवावद हो या उनके अच्छे कमों का िि या लिर प्रकृ लत की देन, पर उनके
घर में आल़िरकार जड़ु वा बच्चे पैदा हुए। बड़े का नाम रखा लदना और छोटे का भदरी। दोनों भाई िीरे -िीरे बड़े होने िगे।
एक बार छुटपन में जोलगया नगर के काबलु िया राजा के छि-कपट से हो या खेि-कूद के अलमत भाई के सत्र के दौरान
दौरान दोनों भाई एक गहरे गर््ढे में लगर गए। तब एक मसु िमान पहिवान तालहर कुजरा और उनकी बहन िे कनी ने अपने
घर का दिू लपिाकर उन्हें लज़ंदा रखा। कहा जाता है लक शायद तालहर कुजरा के दिू का ही असर था लजससे बद्री को इतनी
ताक़त और दीना को इतनी बलु ि लमिी।
लनरसो मााँ और कािो बाबा की परवररश भी क़ालबि-ए-तारीफ़ थी। िोग कहते हैं लक ऋलषदेव मोहल्िों में पढ़ने-लिखने का
प्रचिन नहीं था पर उन्होंने दोनों बच्चों को दसू रों के घर रखकर पढ़ाया लिखाया। साथ ही तीर-िनुष चिाना लसखाया जब
लक कहा जाता है लक अस्त्र का ज्ञान लसफ़व राजपतू को िेने का अलिकार है। या लिर शायद उन लदनों में दलितों के पास भी
अस्त्र-शस्त्र की लशक्षा का अलिकार हुआ करता था जो बाद में उन से छीन लिया गया।
लजन समदु ायों को आज हम ‘दलित’ और ‘छोटका’ कहते हैं वे एक समय में राजा भी हुआ करते थे इसके भी इलतहास में
कई उदहारण हैं। इस कथा में भी मोरांग राज में पाचनू ाथ र्ोम एवं उनके भाई छे चन–पोछन काफ़ी ताक़तवर िोग थे। पासवानों
के कुिदेवता मोरंग के सिहेस महाराज दलित जालत से होकर भी चौकीदार के पद से शरू ु कर ़िदु राजा बने थे। यानी इन बच्चों की टोिी आई है! नई रोशनी िाई है!!
सब जालतयों के िोगों के पास भी ज़मीन, जायदाद और सत्ता हुआ करता थी। िेलकन आज उसी समाज के िोग भलू महीन हैं
या ज़मींदारों द्वारा रै यत में बसाए गए हैं। पर सोचने की बात यह है लक आल़िर क्या हुआ इन सब के िन दौित को? लकसने
इन समाजों से इनका सब कुछ छीन लिया?
अब वापस आते हैं दीना-भदरी पर। अपनी लशक्षा ़ित्म करने के बाद दोनों भाई दलु नया देखने लनकि पड़े। कभी बेिा पहाड़
पर ध्यान में बैठ जाते तो कभी संन्यासी बनकर के न्होिी नगर में तो कभी मघा मंगु ेर में घमु ा करते थे। घर–घर जाकर खाना
मााँग लिया करते थे और इसी तरह गज़ु ारा चिता था। घमू ते-घमू ते जहााँ इन्हें लदखता की कोई राजा अपने प्रजा का शोषण
कर रहा है या कोई मज़दरू ों पर अत्याचार कर रहा है वहााँ वे उस राजा या मालिक से लभड़ जाते थे और बि और बलु ि से
उन्हें हरा देते थे। मगर इन सबके बावजदू भी ़िदु कभी राजा नहीं बनते थे। उल्टा वहााँ की गरीब जनता को आज़ाद कर अगिे
लठकाने की ओर लनकि पड़ते थे।
जोरावर राजा, िलमया राजा जैसों को हराने के तो कई सारे लक़स्से दीना-भदरी के काफ़ी मशहूर हैं। सनु ने में आता है लक वे
िोगों को ठगने वािे ओझा–गलु णयों के ल़ििाि भी िड़ते थे। िेलकन बड़े अफ़सोस की बात है लक दीना और भदरी को
पजू ने वािे आज भी अलशक्षा, अिं लवश्वास और शोषण के जाि में िाँ से हैं। ज़मींदारी प्रथा आज भी क़ायम है।
नालसर भाई के साथ िमव आिाररत भेदभाव पर चचाव करते हुए
हमारे नोट पर, वोट पर, थाना-कोटव पर उन्हीं बड़का जालत के ज़मींदारों का और उनके बेटों का राज है। दीना-भदरी ने तो
पढ़ना-लिखना भी सीखा, कुश्ती-कसरत-खान-पान से अपने शरीर को भी बनाया। यहााँ तक की हाथ में तीर-िनषु भी उठाया
तालक अत्याचारी ज़मींदारों को और ज़मींदारी प्रथा को ़ित्म कर सकें । उन्होंने यह सब इसलिए लकया तालक मज़दरू ों का राज
हो। पर दीना-भदरी को मानने वािे आज बस आाँखें माँदू के पूजा-पाठ, मेिा-खेिा, भजन-कीतवन में िगे हुए हैं। इन दो
क्रांलतकारी भाइयों की के वि मलू तव लबठाकर इन्हें भगवान बनाकर रख लदया हैं। आल़िर कब तक हम इस कियगु में दीना-
भदरी के आने का इतं ज़ार करते रहेंगे? शायद अब वक़्त आ गया है लक घर-घर में दीना-भदरी पिे। दलु नया के सारे दबे-कुचिे
मज़दरू लशलक्षत और संगलठत होकर ज़मींदारी प्रथा का जड़ से ़िात्मा कर दें।
-शोवहनी द्वारा वलखा गया
(इस लेख की प्रेरणा, जानकारी और सहायता के वलए हम प्रभावतनगर – नरपतगंज के चन्दन भगत, रामघाट पंचायत के
सगं ठन के सभी साथी एिं सगं ठन के सवचि वशिनारायण के ख़ास आभारी हैं।)
6 जन ख़बर ‫جن خبر‬ िई 2019

बदलीं जा देसवा के खाका, बलिु


लेइ ल ललका पताका हो
हर साि की तरह इस बार भी जन जागरण शलि संगठन ने ़िबू बनाकर िक्ष्मीपरु में आयोलजत कायवक्रम में
िमू -िाम से मज़दरू लदवस मनाया। वैसे तो हर बार एक बड़े मेिे का शालमि होने पहुचाँ े थे। लसकटी प्रखंर् के
आयोजन लकया जाता है िेलकन इस साि लवके लन्द्रत तरीक़े से सालथयों ने आमगाछी में झंर्ा तोिन
मज़दरू लदवस मनाया गया। यहााँ हम आपके साथ सभी इिाकों में कायवक्रम लकया। आमगाछी और आस-पास
मनाये गए मज़दरू लदवस की कुछ झिलकयााँ साझा कर रहे हैं। की पचं ायतों से सगं ठन के साथी, क़रीब 300 की सख्ं या में, रै िी माध्यम से सदं श
े लदया लक हम िोग एक होकर कोई भी िड़ाई जीत
लनकाि कर और नारे िगाते हुए नया टोिा पहुचाँ े। दलु नया भर में सकते हैं, और जीते भी हैं।
चि रहे मजदरू ों के संघषों से प्रेरणा िेते हुए, और यह स्वीकारते कलटहार लजिा के बिआ ु पंचायत के संगठन के सालथयों ने
हुए लक लबना िड़े, लबना अपनी आवाज़ उठाए, मजदरू ों-
दलितों-मलहिाओ ं को न्याय नहीं लमिेगा और हमें अपने
आंदोिन को तेज़ करना होगा, झंर्ा तोिन लकया गया।
वैशािी लजिा के पातेपरु प्रखर्ं के सैकड़ों मज़दरू ों ने बड़ी
िमू -िाम से मनाया था बनाया मज़दरू लदवस। गाना-बजाना
के माध्यम से िोगों ने मज़दरू लदवस का इलतहास जाना।
सगं ठन के क़रीबी साथी नालसरुद्दीन भाई भी आयोजन में
रानीगंज प्रखंर् के स्थानीय सालथयों ने 4 जगहों - कोश्कापरु उत्तर, शरीक हुए। उन्होंने बताया लक एकता में बहुत बि होता है
खरहट, हासा और लबशनपरु - में कायवक्रम का आयोजन लकया। और उससे कोई भी आलिकार की िड़ाई जीती जा सकती
सभी जगहों पर आस-पास की पंचायतों से ़िबू सारे साथी एकजुट है। मज़ु फ़्फफ़रपरु से आए परमोद कुमार ब्यास ने अपने गाने के
हुए और झंर्ा तोिन लकया। कायवक्रम में मलहिा, परुु ष और बच्चे
सभी शालमि थे। कड़ी िपु और
गमी के बावजदू साथी र्टे रहे िज़दूर कदवस की कहानी भातौररया हवा महि पर
और बड़े उत्साह से झंर्ा तोिन मज़दरू लदवस का इलतहास मज़दरू तबक़े के सघं षों और ़िासकर काम के घटं े के सघं षव से जड़ु ा हुआ है। अट्ठारवीं शताब्दी में फ़ै लक्रयों में मज़दर लदवस का आयोजन

का कायवक्रम एवं गीत-सगं ीत मज़दरू सबु ह से िेकर शाम तक सोिह-अट्ठारह घंटे गि ु ाम की तरह काम करते थे। फ़ै क्री के मालिक इनकी मेहनत पर अपना राज लकया। झंर्ा तोिन संगठन
का िुत्फ़ उठाया। हासा के चिाते थे। ऐसी लस्तलथ से िड़ने के लिए और काम के घंटों को कम करने के लिए मज़दरू ों ने गोिबंद होना शरू ु लकया। जब अमरीका में की मलहिा कायवकतावओ ं द्वारा
स्थानीय साथी लसकन भाई ने फ़ै क्री व्यवस्था शरू ु हुई िगभग तभी से यह सघं षव भी उभरा। उन्नीसवीं सदी के दसू रे और तीसरे दशक काम के घटं े कम करने के लिए लकया गया। ‘िहर िहर
‘ििका पताका’ गीत गाकर हड़तािों से भरे हुए थे। 1880 के दशक में, यानी िगभग 130 साि पहिे अमरीका के मज़दरू संगठनों ने काम की अवलि 8 घंटा करने िहराए रे , झंर्ा मज़दर

सभी के अदं र मज़दरू वगव के के आदं ोिन को तेज़ लकया और बड़े पैमानों पर मज़दरू फ़ै लक्रयों में हड़ताि करने िगे। उनका नारा था ‘आठ घंटा काि आठ घंटा भाइयों-बहनों का...’ गीत ने
संघषव को और बि ु ंद और आराि और आठ घटं ा िनोरंजन’। 1884 में ‘फ़े र्ेरशन ऑफ़ औगवनाइज़्र् रेर् एर्ं िेबर यलू नयन’ ने अपने सम्मिेन में 1 मई 1886 की समा बााँि लदया। कायवक्रम में
गैरबराबरी के ल़ििाफ़ इस तारी़ि का िक्ष्य रखा जब सभी जगह काम के घंटे आठ हो जाएाँगे। जब यह तारी़ि नज़दीक आई तो कई यलू नयन आठ घंटे के काम मज़दर लदवस का इलतहास

िड़ाई को और तेज़ करने का की मााँग का समथवन करते हुए हड़ताि पर गई और ं रै लियााँ लनकािी गई ।ं इसी क्रम में अमरीका के एक शहर लशकागो में 3 मई 1886 को दोहराया गया। मज़दरू ों की
जोश भर लदया। मज़दरू ों का एक शांलतपणू व प्रदशवन हुआ लजस पर पलु िस द्वारा गोिी चिाई गई और दो मज़दरू मारे गए। पलु िस की बबवरता के लवरोि में िड़ाई में हमेशा मलहिाओ ं ने
िॉलबवसगजं परखर्ं के स्थानीय अगिे लदन यानी 4 मई को शहर के ‘हे माके ट स्कवैर’ पर प्रदशवन रखा गया। वहााँ लहसं ा भड़क उठी। पलु िस द्वारा गोलियााँ चिाई गई बढ़-चढ़ के लहस्सा लिया है
सालथयों ने मध्य लवद्यािय और भीड़ में बम िें का गया। इस लहसं ा में चार मज़दरू और सात पलु िसकमी मारे गए। कई िोग बरु ी तरह ज़ख़्मी हुए। मज़दरू नेताओ ं को और यह संघषव मलहिाओ ं की
िशनु गंज मे झंर्ा तोिन का िााँसी की सज़ा लमिी और कई को जेि में र्ाि लदया गया। लशकागो के फ़ै क्री मालिकों का मज़दरू ों की मााँग का यह जवाब था। िेलकन भागीदारी और उनके नेतत्ृ व
कायवक्रम लकया लजसमें सगं ठन आदं ोिन बढ़ता गया और अमरीका में आठ घटं े की मााँग को माना गया। आदं ोिन की एक बड़ी जीत हुई और 1 मई एक परंपरा बन के लबना नहीं जीता जा
के सलचव आशीष रंजन और गई। लशकागों के ‘हे माके ट’ कांर् और मज़दरू आंदोिन की याद में ‘सेकंर् इटं रनेशनि’ जो सोशलिस्ट और िेबर पालटवयों का एक सकता। मज़दर लदवस

कम्यलु नस्ट पाटी ऑफ़ इलं र्या से राजनैलतक संगठन था, ने 1 मई को अतं रावष्ट्रीय मज़दरू लदवस के रूप में मनाना शुरू लकया। इस तरह दलु नया के तमाम देशों में यह िै िा। लचतोररया पंचायत में भी बड़े
जड़ु े प्रमोद यादव शालमि थे। दलु नया भर के रेर् यलू नयन, श्रलमक सगं ठन, फ़ै क्री, ऑलफ़स, खेत-खलिहान में काम करने वािे िोग इस लदन मज़दरू ों के सघं षव और िमू -िाम से मनाया गया।
कायवक्रम के दौरान देश-लवदेश आदं ोिन को याद करते हुए अपने-अपने संघषों को आगे बढ़ाने का इरादा ज़ालहर करते हैं । सहरसा लजिा के सोनवषाव
में चि रहे मजदरू ों की िड़ाईयों प्रखंर् में सोहा पंचायत में
और मज़दरू लदवस के इलतहास पर भी चचाव हुई। लवद्यािय में िगभग 500 मज़दरू -लकसान-छात्र-नौजवान
कायवक्रम संपन्न करने के बाद यह टोिी नरपतगंज प्रखंर् के लिए सालथयों ने लमिकर मज़दरू लदवस मनाया। संगठन
रवाना हुई। नरपतगंज में रामघाट पंचायत में झंर्ा तोिन का के बज़ु गु व सालथयों ने लमिकर झर्ं ा तोिन लकया
कायवक्रम हुआ। और चंदे से ़िरीदे गए राशन से पकवान बनाकर
अरररया नगर पररषद् क्षेत्र में भी मज़दरू लदवस का कायवक्रम बड़े हषव ़िबू आनंद उठाया।
और उल्िास के साथ मनाया गया। जन जागरण शलि संगठन के
महासलचव रणजीत पासवान ने वार्व नंबर - 3 के उच्च लवद्यािय में (इस लेख में इन साथियों का योगदान रहा है
कायवक्रम का आयोजन लकया था। – विजय, अजय, जजतेन, फूल कुमारी, खुशबू,
कुसावकााँटा के स्थानीय सालथयों ने 1 मई के कायवक्रम हेतु बहुत अमर, क्रिश्चम, और शशिनारायण।)
पहिे से ही तैयाररयााँ शरूु कर दी थी। िक्ष्मीपरु के आस-पास की
पचं ायतों से भी साथी सगं ठन का झर्ं ा साथ में लिए एक रै िी

सीलमत और लनजी लवतरण के लिए जन जागरण शलि संगठन के महासलचव रंजीत पासवान की ओर से प्रकालशत । संपकव : बैजनाथपरु , वार्व नंबर 6, अरररया आर.एस. ।
मोबाइि नबं र - 9973363664

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